कमांड / प्रकाश चन्द्रायन

December 18, 2021 0 By Yatharth

उत्तर बिहार के कोसी नदी समूह के किनारे एक गांव में जन्म। इस इलाके का लोक प्रचलित नाम फरकिया परगना और शासकीय नाम खगड़िया जिला है। फरकिया मानी फरक किया हुआ यानी मूलतः हाशिया। यही हाशिया और हाशियाकरण मेरी चेतना और रचना का मूल है।

पाठकीय जनतंत्र में रचनाएं स्वत: संवाद स्थापित करें, रचनाकार और मध्यस्थ उस वृत्त में गौण हो, यही स्वस्थ
स्थिति है। संलग्न रचनाएं इसी इच्छा के साथ प्रस्तुत हैं। वृहत्तर हाशिया के नजरिए से ये रचनाएं विषय को रेखांकित करती हैं, क्योंकि शिखरवादी सभी तंत्र, संरचनाएं, व्यवस्थाएं, स्थापनाएं और विचार निर्मम हाशियाकरण करतीं हैं। ये रचनाएं इस प्रक्रिया का साक्ष्य हैं।

छात्र जीवन से ही वैज्ञानिक-विवेकवादी नजरिए से हाशिया और हाशियाकरण की प्रक्रिया को समझने की कोशिश। पैंतीस साल विभिन्न अखबारों में काम। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। सांस्कृतिक प्रयासों-कार्यों में रुचि। सेवानिवृत होकर नागपुर में निवास।

संपर्क – ३०४ गजानन अपार्टमेंट्स, ५ टिकेकर रोड, धंतोली, नागपुर-४४००१२, महाराष्ट्र

मोबाइल – ९२७३०९०४०२ | इमेल – prakashchandra14021950@gmail.com


कमांड ही कमांड है।
एकालाप-प्रलाप के साथ कड़क कमांड है।

रिपोर्ट है कि अशक्त भारतीय भाषाएँ गरज से दहल जाती हैं।
सामरिक गूँज से अछोर मटमैले हाशिया के बाहर –
सफेद नागरिकताएँ अगल-बगल हो जाती हैं।
जंगी झंडियाँ मुख्यालय से शाखा तक बेधड़क फहराती हैं।

एक कड़क थमी नहीं कि नई भड़क जाती हैं।
कोई तड़क अपवाद नहीं-
अपवाद ही तो उन्मादी कमांड देता है।
कर्कश हुजूम उन्माद का उपभोक्ता होता है।

इसका सरलीकरण क्या करें ,
सारा महारूपक सामने सजा है।
चाहें तो लफ्ज़ों को पढ़ लें,
जो लफ्ज़ नहीं संगीन सज़ा हैं।
* * *


लीजिए,देवनागरी में चंद द्विभाषी कमांड दर्ज हैं – स्लोडाउन/ ब्रेकडाउन / शटडाउन/ऑर्डर
लहरो! रुक,आगे मत बढ़ना
शब्दो! ख़ामोश,आगे मत बोलना
क्रैकडाउन /नीलडाउन /आलडाउन /नेशन इन डेंजर
ध्वनियो!थम,आगे मत गूंजना
भाषाओ!चुप्प,कंठ मत खोलना
ब्रेनडाउन /क्राउल / नॉकडाउन/ ओवर
संवादो!ठहर,आगे मत जुड़ना
नरो!मादाओ!!झुक, आगे मत उठना
और भी क्या-क्या नहीं एकालाप और प्रलाप।
कमांड का असली मर्ज है डाउन-डाउन का मंत्रजाप,
डाउन-डाउन में मिला है स्वाहा-स्वाहा का शुद्ध शाप।

कमांड का मौलिक शब्दों से क्या सरोकार ?
जैविक अनुवादों की क्या दरकार ?
न्यू इंडिया प्रा। लि।देता रहता है,
एक -एक अक्षर उधार।
बहुत तेज धार,
भीतर की मार।

प्रभुभाषा-सहभाषा के शब्दों में भी घातक इरादे छिप नहीं पाते,
सारा मूलपाठ पुराना है जिल्दबंदी नई है।
न्यू इंडिया कमांड के भूगोल का नया नाम है-
जो जहाँ जन्मा वहीं सड़े-गड़े मरे-खपे,
यही तो सनातन संविधान है।

सुपर इंडिया भी तनी हुई कमान है,
तभी तो प्रपंची शब्दसंधान है,
पैदाइशी दूरी रहे ! क्रम न टूटे!! हिलो मत!!!
यही तो कमांड का द्विअर्थी प्रावधान है।

मानो यह कोई देश नहीं अनवरत हॉरर फ़िल्म हो,
कपट से प्रकट तक मेकअप और सेट बदल कर।
यहाँ-वहाँ भारतीय भाषाओं का रूतबा भले हो कमतर,
जहाँ-तहाँ पैदल सेना का कोहराम मचा है क्रूरतर।
मारमारमारतड़तड़तड़फायर

इन शब्दावलियों को रटना-रटाना फ़ौजी तर्ज है,
गुप्त रजिस्टर में आम अवाम बतौर असामी दर्ज है।
हकीकत के लिए घटनाक्रम से सामना में क्या हर्ज है?
अर्ज है कि इस फिहरिस्त को गुनना,
हर सच्चे नागरिक का बुनियादी फर्ज है।

गुनना है कि शब्द भाषा ध्वनि संवाद पर यह बरसता कोड़ा है?
चुनना है कि हर प्रतिकार में भी-
शब्द भाषा ध्वनि संवाद ही अंतर्धारा है।
इन्हीं में रची-बसी अटूट जीवनधारा है ।

* * *
कमांड ही कमांड है,
विकराल कांड गढ़ता विधिवत कर्मकांड है।
मुंडों और शून्यों के शिखर पर आसीन डॉन ही डॉन है,
सबसे ऊपर वैदिक और वैधानिक का साझा ब्रांड है।
फलाफल में निशाने पर मटमैला हाशियास्तान है।

जनगण क्या पुराकालीन मृद्भांड है,
संग्रहालयों में संरक्षित, सुरक्षित और प्रदर्शित।
अतीतभक्षियों के कुपाठों में मृत-विस्मृत!
कारा-दर-कारा आजीवन अधॆमृत!!

हर वर्तमान का उत्तरोत्तर कमांड है,
अतीत में प्रमाण ही प्रमाण है।
हर निडर साँस भविष्य की जान है।
जान है।
जान है।