मज़दूर विरोधी लेबर कोड रद्द करो, निजीकरण बंद करो : बंगलुरु में मासा की जोरदार रैली

January 17, 2022 0 By Yatharth

मेहनतकश


मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के बैनर तले देश के विभिन्न हिस्सों से बंगलुरु पहुँचे हजारों मज़दूरों ने प्रदर्शन कर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की।

बंगलुरु। 19 दिसंबर को बेंगलुरु के सिटी रेलवे स्टेशन स्थित मंडल भवन से मजदूरों का यह कारवां शहर के विभिन्न हिस्सों से होते हुए मैजिस्टिक पार्क पहुंचा, जहां जोरदार सभा हुई।
इस दौरान मजदूरों और विभिन्न संगठनों के आए हुए नेताओं ने मजदूर विरोध चारों श्रम संगीताओं को रद्द करने, निजीकरण और ठेका करण की प्रथा को समाप्त करने के साथ ही न्यूनतम मजदूरी ₹25000 करने और असंगठित, अप्रवासी, खेतिहर व मनरेगा मज़दूरों की मांगों को उठाया। इस दौरान नई श्रम संहिताओं पर मासा द्वारा हिंदी व अंग्रेजी में प्रकाशित पुस्तिका जारी हुई। श्रम आयुक्त ने सभा स्थल पर आकर मासा द्वारा तैयार किए गए मांग पत्र को लिया।


इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने देश को विभाजनकारी और साम्प्रदायिक खून-खराबे में धकेलकर मजदूरों पर हमले लगातार तेज किए हैं। लंबे संघर्षों के दौरान हासिल 44 श्रम कानूनों को खत्म करके वह चार श्रम श्रम संहिताएँ ला रही है, जो कि पूरी तरीके से मालिकों के पक्ष में और मजदूरों को बंधुआ बनाने वाले हैं। वक्ताओं ने कहा कि मोदी जमात जनता के खून पसीने से खड़ा किए गए तमाम सरकारी व सार्वजनिक उद्योगों उपक्रमों को बंद करने, बेचने का काम बेलगाम कर दिया है। वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार अडानी अंबानी जैसे पूंजीपतियों की असल यार साबित हो चुकी है। इसीलिए एक तरफ तो अडानियों की संपत्ति में हजारों गुने का इजाफा हुआ है, वहीं देश की आम जनता बदहाली और कंगाली की ओर बढ़ी है। महंगाई ने आम जनता का जीना दूभर कर दिया है। बेरोजगारी विकराल रूप ले चुकी है। देश की व्यापक मेहनतकश जनता की परेशानियां बेइंतहा बढ़ गई हैं। इस दौरान प्रवासी मजदूरों, सफाई कर्मियों, लोडिंग अनलोडिंग, बीएमसी आदि मजदूरों के साथ खेतिहर व मनरेगा मजदूरों की भी मांग बुलंद हुई।


सभा के दौरान सभी वक्ताओं ने किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष को याद किया जिसने तानाशाह मोदी सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर किया। साथ ही इससे सबक लेकर देश की अन्य मेहनतकश जनता को अपने संघर्षों को तेज करने के लिए आगे आने का आह्वान किया।


सभा को कॉमरेड सुषमा वर्मा, कॉमरेड वर्धाराजेंद्रा, कॉमरेड बालन, कॉमरेड एस वी राव, कॉमरेड सुदेश कुमारी, कॉमरेड कैलाश भट्ट, कॉमरेड सिद्धांत, कॉमरेड आर मनसैया, कामरेड केबी गोनाल आदि ने संबोधित किया। मासा के बैनर तले कर्नाटका श्रमिक शक्ति, टीयूसीआई, आईएफटीयू, इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, आईएफटीयू (सर्वहारा), एसडब्ल्यूसीसी, ग्रामीण मजदूर यूनियन बिहार, जन संघर्ष मंच हरियाणा, सोशलिस्ट वर्कर र्सेंटर, मजदूर सहायता समिति, कारखाना मजदूर यूनियन पंजाब आदि घटक व सहयोगी संगठनों के नेतृत्व में हजारों मज़दूरों ने भागीदारी निभाई।


[यह रिपोर्ट मूलतः mehnatkash.in पर प्रकाशित हुई है।]