व्हर्लपूल कंपनी में गैर-कानूनी वेतन कटौती के खिलाफ प्रदर्शनरत मजदूरों-कार्यकर्ताओं तथा

March 23, 2022 0 By Yatharth

एक मजदूर रिपोर्टर पर हुए पुलिस दमन के खिलाफ उपायुक्त के समक्ष आक्रोश प्रदर्शन

फरीदाबाद, हरियाणा : 15 फरवरी 2022 (रविवार) को, फरीदाबाद उपायुक्त (डीसी) कार्यालय के समक्ष, सेक्टर 20, फरीदाबाद स्थित व्हर्लपूल कंपनी द्वारा अपने ठेका मजदूरों की नाजायज वेतन कटौती और उसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मजदूरों, कार्यकर्ताओं व पत्रकारों पर पुलिसिया दमन के विरुद्ध इफ्टू (सर्वहारा) के बैनर तले आक्रोशपूर्ण विरोध प्रदर्शन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया, जिसके अंत में हरियाणा के मुख्यमंत्री को फरीदाबाद उपायुक्त के मार्फत ज्ञापन सौंपा गया।

 करीब साढ़े 11 बजे सुबह मजदूरों व कार्यकर्ताओं का जत्था एकताबद्ध कतारों में अपनी मांगों के साथ जोरदार नारे लगाते हुए लघु सचिवालय पहुंचा जहां पुलिस ने परिसर में प्रवेश अवरुद्ध करने हेतु बैरिकेड लगाए हुए थे। मुख्य द्वार पर ही जुलूस एक आम सभा में तब्दील हो गया। सभा का संचालन कॉ. सत्यवीर सिंह ने किया और इस सभा की पृष्ठभूमि को सबके सामने प्रस्तुत किया। ‘मजदूर समाचार’ से कॉ. नरेश ने वक्तव्य रखा और घटनाक्रम व उनके साथ हुए पुलिस दमन की आपबीती को सामने रखते हुए मजदूरों व कार्यकर्ताओं के लिए न्याय की मांग को पुनः प्रस्तुत किया। इसके साथ बिरादराना मजदूर संगठनों व ट्रेड यूनियनों से दीपक (इंकलाबी मजदूर केंद्र), आर.एन.सिंह (एटक) और जवाहर लाल (आईसीटीयू) ने सभा में प्रस्तुत मांगों के समर्थन में उत्साहवर्धक वक्तव्य रखे। जुलूस में आर.डी.यादव (एचएमएस) भी उपस्थित थे। कई सोशल मीडिया चैनलों ने प्रदर्शन को कवर किया और ‘वर्कर्स यूनिटी’ मीडिया की ओर से संदीप राउजी ने प्रदर्शन का लाइव कवरेज किया। अंत में इफ्टू (सर्वहारा) की ओर से कॉ. सिद्धांत ने बिरादराना संगठनों के सभी प्रतिनिधियों एवं मीडिया कर्मियों का आभार व्यक्त करते हुए और मांगों की पूर्ति के लिए आगे कार्रवाई जारी रखने की बात कहते हुए समापन वक्तव्य दिया।

वाकया यह है कि व्हर्लपूल कंपनी के सामने वाली सड़क निर्माणाधीन होने के मद्देनजर स्‍वयं प्रबंधन ने मजदूरों को 23 जनवरी से एक सप्ताह की छुट्टी पर जाने को कहा, जबकि मजदूरों ने छुट्टी की कोई मांग या अपील नहीं की थी, और उसी सप्ताह गणतंत्र दिवस और एक रविवार की आम छुट्टियां भी शामिल थीं। हालांकि जब जनवरी महीने का वेतन खातों में जमा हुआ तब मजदूरों को पता चला कि पूरे सात दिन का, यानी एक-चौथाई, वेतन काट लिया गया है। प्रबंधन पर मजदूरों की गुहार और अपीलों का कोई असर नहीं होने पर 10 फरवरी को लगभग 1200 मजदूर कंपनी गेट पर जमा हो प्रदर्शन करने लगे। मजदूरों के हितों से सरोकार रखने वाले कार्यकर्ता व पत्रकार भी वहां पहुंचे। प्रदर्शन के बीच ही पहले पुलिस संरक्षण और मुजेसर थाना एसएचओ की मौजूदगी में गुंडों/बाउंसरों द्वारा और फिर खुद पुलिस द्वारा मजदूरों, कार्यकर्ताओं व पत्रकारों के साथ मार-पीट व धक्का-मुक्की की गई, जिसमें ‘मजदूर समाचार’ मीडिया के पत्रकार नरेश कुमार और ‘इंकलाबी मजदूर केंद्र’ के साथी खीमानंद व संजय मौर्य शामिल थे। साथी नरेश को पुलिस ने जबरदस्ती अपनी जीप में डाला और फर्जी, मनगढ़ंत मुकदमा लगाकर मुजेसर थाना हवालात में बंद कर दिया जहां उन्हें पूरी रात हवालात में बंद रखा गया। वे अगले दिन ही जमानत पर रिहा हो पाए।

 इस घटनाक्रम के मद्देनजर इफ्टू (सर्वहारा) द्वारा जारी ज्ञापन में व्हर्लपूल मजदूरों की वेतन-कटौती का अविलंब संपूर्ण भुगतान, पुलिस दमन व हिंसा के घटनाक्रम की उच्च-स्तरीय जांच व त्वरित कार्रवाई, नरेश कुमार पर लादे गए फर्जी मुकदमें को रद्द करने, और पूरे फरीदाबाद में श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करने की मांगों को उठाया गया। सभा के अंत में सिटी मजिस्ट्रेट प्रदर्शन स्थल पर आए और प्रदर्शनकारियों की मांगों को सुना व उन पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। उपायुक्त के मार्फत हरियाणा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन को उन्हें सौंपा गया जिसके बाद जोशपूर्ण नारों के साथ कार्यक्रम समाप्त हुआ।

फरीदाबाद के उपायुक्त को दिया गया ज्ञापन

विषय : व्हर्लपूल कंपनी द्वारा मजदूरों के वेतन से गैर कानूनी और नाजायज कटौती, मालिकों-ठेकेदारों के पुलिस संरक्षण प्राप्त गुंडों द्वारा मजदूर कार्यकर्ताओं और जन पत्रकार की पिटाई और मुजेसर थाना पुलिस की  मजदूर विरोधी, गैर कानूनी, अन्यायपूर्ण और दमनकारी कार्यवाही के विरुद्ध हरियाणा सरकार द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मजदूरों का आक्रोशपूर्ण ज्ञापन

महोदय,

सेक्टर 20, फरीदाबाद स्थित व्हर्लपूल कंपनी के सामने वाली रोड मरम्मत होने के कारण खुदी पड़ी है जिसकी वजह से कंपनी प्रबंधन ने जनवरी के अन्तिम सप्ताह में अपने मजदूरों को 23 जनवरी से एक सप्ताह की छुट्टी पर जाने को कहा। मजदूरों ने सड़क खुदने और रास्ता अवरुद्ध होने की कोई शिकायत नहीं की थी और ना छुट्टी पर जाने का कोई आवेदन ही दिया था और उसी सप्ताह में बुधवार को गणतंत्र दिवस था और 31 जनवरी को रविवार की साप्ताहिक छुट्टी थी। मजदूरों ने स्वाभाविक रूप से सोचा कि आने-जाने का रास्ता बंद है और बीच सप्ताह गणतंत्र दिवस भी है इसी लिए कंपनी उन्हें एक सप्ताह तक काम पर ना आने के लिए कह रही है। लेकिन जब जनवरी महीने का वेतन खातों में जमा हुआ तब मजदूरों को पता चला कि उनके वेतन में से पूरे सात दिन का वेतन काट लिया गया है। उन्हें यकीन नहीं हुआ क्योंकि ना उन्हें वेतन कटौती के बारे में बताया गया था, ना वे छुट्टी पर जाना चाहते थे, ना उन्होंने आने-जाने में हो रही असुविधा की कोई शिकायत ही की थी; फिर उन्हें उनकी महीने की एक चौथाई वेतन कटौती की सजा क्यों दी गई? उन्होंने कंपनी प्रबंधन से शिकायत की लेकिन कंपनी प्रबंधन के कान पर जूं नहीं रेंगी, ‘असंगठित मजदूर हैं क्या कर लेंगे, चिल्लाकर अपने काम में लग जाने के आलावा इनके पास चारा ही क्या है’, इस अंदाज में!! मजदूरों का आक्रोशित होना स्वाभाविक था लेकिन कंपनी प्रबंधन का रवैया पत्थर जैसा असंवेदनशील बना रहा। ये सब वो मजदूर हैं जिन्हें ठेके पर भर्ती किया जाता है और जिन्हें दिन में 12 घंटे काम करने के बाद महीने में 9800 रुपये पगार मिलती है। इस कमर तोड़ मंहगाई में इतने पैसे में पूरे परिवार का गुजारा करना पड़ता हो और उसमें से 2500 रु काट लिए जाएं तो कैसा लगता है, ये सिर्फ मजदूर ही जानता है।   

जब कंपनी पर मजदूरों की गुहार और अपीलों का कोई असर नहीं हुआ तब 10 फरवरी को कंपनी के लगभग 1200 मजदूर कंपनी गेट पर जमा हो गए और उनके साथ हुए घोर अन्याय के विरुद्ध प्रदर्शन करने लगे। मजदूरों के हितों से सरोकार रखने वाले, सोशल मीडिया पर सक्रिय शहर के अनेक लोग प्रदर्शन कर रहे मजदूरों से सहानुभूतिवश वहां पहुंच गए। ‘मजदूर समाचार’ नाम से एकल मीडिया द्वारा मजदूरों की आवाज को बुलंद करने वाले जन पत्रकार नरेश कुमार भी वहां पहुंच गए और ‘फेसबुक लाइव’ से मजदूरों से बातचीत करने लगे। उन्होंने कहा कि ये तो आपके साथ अन्याय है और गैरकानूनी भी है जिसकी शिकायत तो सरकार के श्रम विभाग से भी की जा सकती है। उनका इतना कहना था कि ठेकेदार के मुंशिओं ने, जो बाउंसर की तरह मजदूरों को धमकाने के लिए ही रखे जाते हैं, जन पत्रकार नरेश कुमार के साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी, उन्हें धमकाया और बाहर धकेलने लगे। सबसे दुखदायी और रोषपूर्ण बात ये है कि ये सब मुजेसर थाने के एसएचओ के सामने हो रहा था। जन पत्रकार नरेश कुमार ने जब ये पूछा कि वे कौन सा गुनाह कर रहे हैं? क्या मजदूरों पर हो रहे अन्याय के विरुद्ध बोलना अपराध है? इतना बोलना था कि एसएचओ अन्दर फैक्ट्री में गए और आधे घंटे बाद बहुत आक्रामक तेवर के साथ बाहर आए। सिपाहियों से कहा, ‘डालो इसे मेरी गाड़ी में’। पुलिस जब जबरदस्ती नरेश कुमार को जीप में ठूंस रही थी तब पुलिस द्वारा संरक्षण प्राप्त मालिक और ठेकेदारों के गुंडे (युद्धवीर और सनी) उन्हें पीछे से लात-घूंसों से मार रहे थे। अकेले नरेश कुमार को ही दमन का शिकार नहीं बनाया गया, मौके पर मौजूद इंकलाबी मजदूर केंद्र के महासचिव कॉमरेड खीमानन्द जी और फरीदाबाद शहर प्रमुख कॉमरेड संजय मौर्य के साथ भी धक्का-मुक्की की गई, उन्हें जमीन पर गिरा दिया गया। कॉमरेड खीमानन्द जी को जबरदस्ती जिप्सी की डिक्की में डाल कर ले जाने की कोशिश की गई लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए।

जन पत्रकार नरेश कुमार पर फर्जी, मनगढ़ंत मुकदमा लगाकर मुजेसर थाना हवालात में बंद कर दिया गया। दोपहर 1 बजे से रात 9 बजे तक उन्हें यूं ही बैठा कर रखा गया। ना उन्हें उनके घर फोन करने दिया और ना किसी को उन से मिलने दिया। उन्हें पूरी रात हवालात में बंद रखा गया और वे अगले दिन ही जमानत पर रिहा हो पाए। उक्त घटना से फरीदाबाद के मजदूर वर्ग, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं, शोषण-दमन के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों से सरोकार रखने वाले सभी नागरिकों में तीव्र रोष है।

मजदूरों के अधिकारों से प्रतिबद्ध क्रांतिकारी मजदूर यूनियन इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (सर्वहारा) (IFTU Sarwahara) हरियाणा सरकार से मांग करती है;

1)   व्हर्लपूल में काम करने वाले मजदूरों ने कोई छुट्टी नहीं मांगी। उन्हें कंपनी प्रबंधन ने खुद एक सप्ताह की छुट्टी भेजा। उसी सप्ताह में रविवार और गणतंत्र दिवस भी था उसकी भी तनख्वाह काट ली गई। क्या गणतंत्र दिवस पर भी मजदूरों का अधिकार नहीं? मजदूरों के वेतन से 7 दिन की कटौती गैरकानूनी और अन्यायपूर्ण है। मजदूरों के वेतन से हुई सम्पूर्ण कटौती का पूरा भुगतान तुरंत किया जाए। नगर निगम द्वारा की जा रही सड़क मरम्मत की सजा मेहनतकश मजदूरों को ना दी जाए।

2)   पुलिस द्वारा जन पत्रकार नरेश कुमार की गिरफ्तारी गैर कानूनी और घोर दमनकारी कार्यवाही है। हिरासत में लिए जाने के बाद भी मालिकों-ठेकेदारों के गुंडों द्वारा की गई उनकी पिटाई और उन्हें फर्जी मुकदमे में रात भर बंद रखना एक अत्यंत गंभीर मामला है। इससे ये भी सिद्ध होता है कि इन गुंडों को पुलिस संरक्षण प्राप्त है। इस सारी घटना की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। कसूरवार गुंडों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए साथ ही इस पूरे प्रकरण में लिप्त पुलिस अधिकारीयों पर न्यायोचित कार्यवाही की जाए।

3)   जन पत्रकार नरेश कुमार पर लादे गए फर्जी मुकदमे को तुरंत रद्द किया जाए।

4)   औद्योगिक नगर फरीदाबाद में सरकार द्वारा पारित श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन हो रहा है। श्रम विभाग को, लेकिन, कोई शर्म नहीं आती। हरियाणा सरकार को सम्बंधित श्रम अधिकारीयों द्वारा श्रम कानूनों को लागू ना कर पाने के लिए समुचित कार्यवाही की जाए।