मजदूर आंदोलन | दमन

June 20, 2022 0 By Yatharth

तेलंगाना में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं पर झूठे आरोपों के तहत गिरफ्तारी के खिलाफ मासा का बयान

कॉमरेड मोहम्मद रासुद्दीन और अन्य ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की अवैध गिरफ्तारी के खिलाफ खड़े हों!

सभी ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं को बिना शर्त रिहा करो!

20 मई 2022: मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) कॉमरेड मोहम्मद रासुद्दीन और अन्य ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की झूठे आरोपों के तहत हुई तेलंगाना पुलिस द्वारा की गई अवैध गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता है। कॉम. रासुद्दीन को 20 अप्रैल 2022 को येलंदु शहर में उनके घर से गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था। उनके ऊपर राजद्रोह (सेडिशन 124A – जो दुर्भावनापूर्ण उपयोगों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के संज्ञान में आया है), यूएपीए और अन्य गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ये आरोप 6 अगस्त 2015 को भद्राद्री कोठागुडम जिले के अल्लापल्ली पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले किचेचेनापल्ली गांव में एक वन रेंजर व ग्रामीणों के बीच खेती की जमीन को स्थानांतरित करने की घटना से जुड़े हैं। पुलिस ने 9 अगस्त 2015 को मामला दर्ज किया था, जिसमें अगुआ ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं सहित 80 से अधिक लोगों पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मुकदमे लगाए गए। उस समय तक मामले में कॉम. रासुद्दीन का कोई उल्लेख नहीं था लेकिन बाद में उनका नाम जोड़ दिया गया। अब तेलंगाना पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है और अन्य नामजद ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं के पीछे लगी हुई है। यह क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन आंदोलन को दबाने का एक स्पष्ट प्रयास है।

कॉमरेड मोहम्मद रासुद्दीन एक क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता और इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (आईएफटीयू) के अगुआ कॉमरेड हैं, जो मासा का एक घटक संगठन भी है। वह प्रोग्रेसिव ऑटो एंड मोटर वर्कर्स यूनियन (आईएफटीयू से संबद्ध) के अध्यक्ष और सिंगरेनी कोलियरीज कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन (एससीसीडब्ल्यूयू) के महासचिव के रूप में भी कार्यरत हैं।

45-50 वर्षों से भी अधिक समय से आदिवासी समुदायों के स्वामित्व में रही पोडु भूमि पर पट्टा (प्रमाणपत्र) जारी करने हेतु सरकार पर दबाव डालने के लिए IFTU के साथियों द्वारा एक लंबा संघर्ष जारी है। वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की आजीविका ये जुड़ी यह बहुत ही बुनियादी मांग हैं। 2014 में जैसे ही तेलंगाना राज्य का गठन हुआ था, राज्य के पहले मुख्यमंत्री श्री के. चंद्रशेखर राव ने आश्वासन दिया था कि सरकार आदिवासी समुदायों को ऐसी पोडु भूमि से बेदखल नहीं करेगी और जंगल नहीं काटेगी। सरकार ने दिखावे की एक सर्वेक्षण भी शुरू किया था, लेकिन अब तक यह कहीं आगे नहीं बढ़ा है। राज्य सरकार अब आदिवासी समुदायों को जंगल से बेदखल करने और वन संसाधनों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों व बड़े कॉर्पोरेट घरानों को सौंपने का प्रयास कर रही है। एक बार फिर से संघर्ष तेज होने के साथ ही ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी भी शुरू हो गई है। राज्य सरकार लगातार इस मामले में और नए नाम जोड़ रही है और अपने दमनकारी तंत्र से वन क्षेत्रों में दहशत पैदा कर रही है।

मासा मांग करता है कि कॉमरेड रासुद्दीन और अन्य ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए, सभी झूठे आरोप तत्काल वापस हों, आदिवासी समुदायों को वन भूमि से बेदखल करना तत्काल बंद हो, और भूमि व प्राकृतिक संसाधनों को बड़े कॉर्पोरेट घरानों को सौंपना बंद किया जाए। मासा यह भी मांग करता है कि सभी काले कानूनों को रद्द किया जाए जिनका द्वेषपूर्ण इस्तेमाल ट्रेड यूनियन आंदोलन और जनता के संघर्षों को दबाने के लिए किया जा रहा है।

कोऑर्डिनेशन कमेटी,              

मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (MASA)

अपडेट : आईएफटीयू के कामरेड रासुद्दीन व एक और साथी को 32 दिनों की जेल के बाद 27 मई को बेल मिली। दोनों कामरेड और उनकी रिहाई में जुटे सभी साथियों को क्रांतिकारी अभिनंदन! दो कामरेड अब भी जेल में हैं, जिनकी रिहाई के लिए संघर्ष जारी है।