उत्तर भारत मजदूर कन्वेंशन दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न!

September 18, 2022 0 By Yatharth

लेबर कोड रद्द कराने 13 नवंबर राष्ट्रपति भवन चलो – अखिल भारत मजदूर आक्रोश रैली!

मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) | रिपोर्ट

नई दिल्ली, 28 अगस्त 2022 : मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) की ओर से 4 नए लेबर कोड, मजदूर विरोधी नीतियों और निजीकरण के खिलाफ उत्तर भारत का मजदूर कन्वेंशन बुलंद नारों के साथ संपन्न हुआ और 13 नवम्बर को राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन कूच करने के लिए मेहनतकश आवाम को आह्वान किया गया।

28 अगस्त को मासा के 6ठे स्थापना दिवस पर दिल्ली के राजेंद्र भवन में आयोजित इस मजदूर कन्वेंशन में दिल्ली, एनसीआर (गुडगांव, फरीदाबाद, नॉएडा, मेरठ आदि), के साथ उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, यूपी, व राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह कन्वेंशन ठीक ऐसे समय में हुआ जब 2 दिन पूर्व ही आंध्र प्रदेश के तिरुपति में मालिकों के हित में लेबर कोड को लागू करने की कवायद के तौर पर देशभर के श्रम मंत्रियों का सम्मेलन संपन्न हो चुका था।

कन्वेंशन में लंबे संघर्षों से अर्जित 44 श्रम कानूनों को खत्म करके 4 श्रम संहिताओं (लेबर कोड) को रद्द करने और मजदूरों के हित में कानूनों में संशोधन करने; जनता के खून-पसीने से खड़ी देश की सरकारी सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने-निजीकरण पर लगाम लगाने; ठेका प्रथा, नीम ट्रेनी-फिक्स टर्म जैसे धोखाधड़ी वाले रोजगार को समाप्त कर सबको स्थायी रोजगार देने; न्यूनतम दैनिक मजदूरी ₹1000 तय करने; सभी श्रेणी के मजदूरों को यूनियन बनाने, आंदोलन करने आदि अधिकारों को बहाल करने आदि मांगे बुलंद हुईं।

कन्वेंशन में तिरुपति में श्रम मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान ट्रेड यूनियन कर्मियों और मजदूरों के ऊपर हुए दमन की मुखालफत की गई और हर प्रकार के दमन का विरोध करते हुए प्रस्ताव पारित किए गए। सैकड़ों मजदूरों व मजदूर प्रतिनिधियों के बीच कन्वेंशन में मासा के घटक संगठनों व सहयोगी प्रतिनिधियों ने आज के हालात, धर्म-जाति-राष्ट्र के नाम पर घातक माहौल बनाकर मजदूर अधिकारों पर हुए तेज हमलों, चारों लेबर कोड्स आदि पर विस्तार से चर्चा की और निरन्तरता में एक जुझारू व निर्णायक संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया। 

अंत में कन्वेंशन का समाहार करते हुए बताया गया कि कैसे नोटबंदी के साथ नीम ट्रेनी और फिक्स टर्म को मोदी सरकार ने लागू कर अपने मालिक पक्षीय एजेंडे को आगे बढ़ाया और संघ-भाजपा ने कैसे मेहनतकश व आम जनता को मानसिक तौर पर गुलाम बना दिया है। मासा के 6 केन्द्रीय मांगों को दोहराते हुए 13 नवंबर को राष्ट्रपति भवन कूच करने का आह्वान किया गया। अंत में मासा की ओर से प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जो आम सहमति से पारित हुआ।

कन्वेंशन का संचालन कॉमरेड सोमनाथ, कॉमरेड विक्रम व कॉमरेड मुकुल ने किया। इस दौरान एमएसएस, आईएमके, आईएफटीयू (सर्वहारा), जन संघर्ष मंच हरियाणा व एमएसके की टीमों ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए। जोरदार नारों और 13 नवंबर को राष्ट्रपति भवन कूच करने की तैयारियों में जुटने के संकल्प के साथ कन्वेंशन समाप्त हुआ। उल्लेखनीय है कि 13 नवंबर आक्रोश रैली की मुहिम के क्रम में मासा ने दिल्ली कन्वेंशन के पूर्व बीते 2 जुलाई को पूर्वी भारत का कोलकाता में और 31 जुलाई को दक्षिण भारत का हैदराबाद में कन्वेंशन किया था।

मासा द्वारा पारित प्रस्ताव :

मोदी सरकार द्वारा लाए मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को समस्त देश में लागू करने के एजेंडे के साथ विगत 25-26 अगस्त को तिरुपति, आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसका उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा किया गया और जिसमें केंद्रीय श्रममंत्री के साथ विभिन्न राज्यों के श्रम मंत्रियों की भागीदारी रही।

इसके मद्देनजर लेबर कोड के खिलाफ देश भर में मजदूर संगठनों व ट्रेड यूनियनों ने विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। तिरुपति में इस विरोध को कुचलने के लिए पहले से तैनात 2000 पुलिस बल द्वारा प्रदर्शनकारियों पर बर्बरतापूर्वक बल प्रयोग करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया।

मासा आंध्र सरकार के इस अन्यायपूर्ण गैर जनवादी रवैये और मोदी सरकार द्वारा देश भर के मजदूरों पर लेबर कोड थोपने की तमाम कोशिशों पर अपना पुरजोर विरोध दर्ज करता है। इसी के साथ देश भर में मजदूर संगठनों, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, और जनपक्षीय प्रगतिशील आवाजों को राजकीय दमनतंत्र के तहत कुचलने की बढ़ती कोशिशों का भी मासा विरोध करता है।

मासा लेबर कोड, निजीकरण, ठेका प्रथा व सभी मजदूर विरोधी नीतियों व हमलों के खिलाफ देश भर में मजदूरों को एक निरंतर, निर्णायक व जुझारू आंदोलन खड़ा करने और 13 नवंबर को राष्ट्रपति भवन तक मजदूर आक्रोश रैली को सफल बनाने का आह्वान करता है।

मासा की केंद्रीय मांगें :

1. मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं तत्काल रद्द करो! श्रम कानूनों में मजदूर-पक्षीय सुधार करो!

2. बैंक, बीमा, कोयला, गैस-तेल, परिवहन, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि समस्त सार्वजनिक क्षेत्र-उद्योगों-संपत्तियों का किसी भी तरह का निजीकरण बंद करो!

3. बिना शर्त सभी श्रमिकों को यूनियन गठन व हड़ताल-प्रदर्शन का मौलिक व जनवादी अधिकार दो! छटनी-बंदी-ले ऑफ गैरकानूनी घोषित करो!

4. ठेका प्रथा खत्म करो, फिक्स्ड टर्म-नीम ट्रेनी आदि संविदा आधारित रोजगार बंद करो – सभी मजदूरों के लिए 60 साल तक स्थायी नौकरी, पेंशन-मातृत्व अवकाश सहित सभी सामाजिक सुरक्षा और कार्यस्थल पर सुरक्षा की गारंटी दो! गिग-प्लेटफॉर्म वर्कर, आशा-आंगनवाड़ी-मिड डे मिल आदि स्कीम वर्कर, आई टी, घरेलू कामगार आदि को ‘कर्मकार’ का दर्जा व समस्त अधिकार दो!

5. देश के सभी मजदूरों के लिए दैनिक न्यूनतम मजदूरी ₹1000 (मासिक ₹26000) और बेरोजगारी भत्ता महीने में ₹15000 लागू करो!

6. समस्त ग्रामीण मजदूरों को पूरे साल कार्य की उपलब्धता की गारंटी दो! प्रवासी व ग्रामीण मजदूर सहित सभी मजदूरों के लिए कार्य स्थल से नजदीक पक्का आवास-पानी-शिक्षा-स्वास्थ्य-क्रेच की सुविधा और सार्वजनिक राशन सुविधा सुनिश्चित करो!

मासा के घटक संगठन :

ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल  |  ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार  |  इंडियन काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ICTU)  |  इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (IFTU)  |  IFTU (सर्वहारा)  |  इंकलाबी मजदूर केंद्र  |

इंकलाबी मजदूर केंद्र, पंजाब  |  जन संघर्ष मंच हरियाणा  |  कर्नाटक श्रमिक शक्ति  |

लाल झंडा मजदूर यूनियन (समन्वय समिति)  |  मजदूर सहायता समिति  |  मजदूर सहयोग केंद्र  |

न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट (स्टेट कोऑर्डिनेशन कमिटी) (NDLF-SCC)  |  सोशलिस्ट वर्कर्स सेंटर, तमिलनाडु  |  स्ट्रगलिंग वर्कर्स कोआर्डिनेशन कमिटी (SWCC, पश्चिम बंगाल)  |  ट्रेड यूनियन सेंटर ऑफ इंडिया (TUCI)