ब्रिटिश ‘उदार जनतंत्र’ में मजदूर अधिकारों पर हमला

November 15, 2022 0 By Yatharth

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति / रिपोर्ट

एम असीम

ब्रिटेन में मारग्रेट थैचर की नवउदारवादी सरकार पहले ही हड़तालों पर बहुत किस्म की कानूनी रोकटोक लगा चुकी है। इनमें हड़ताल के पहले अनिवार्य वोट, इसमें कम से कम 50% द्वारा हिस्सा, उनके 50% से अधिक द्वारा हड़ताल का समर्थन, वोट डाक से लेने का नियम, हड़ताल के साथ दूसरे किसी किस्म के विरोध पर पाबंदी, आदि शामिल हैं। हालांकि इस बीच में तथाकथित लेबर पार्टी भी 10 साल सत्ता में रह चुकी है, पर उसने भी श्रम अधिकारों की कटौती व हड़ताल पर इन कानूनी बाधाओं में जरा भी ढील नहीं दी।

अब 19 अक्टूबर को गिरती हुई लिज ट्रस सरकार ने यातायात हड़ताल (न्यूनतम सेवा स्तर) विधेयक पेश किया है (https://tinyurl.com/yndfce36)। उसके बाद आई सुनक सरकार भी इस पर आगे बढ़ेगी। ट्रस सरकार को तब सर्वेक्षणों में सिर्फ 14% ब्रिटिश आबादी का ही समर्थन प्राप्त था। मगर यह कानून ‘जनतांत्रिक’ ही माना जाएगा! इस विधेयक में हड़ताल करने से पहले यूनियन को प्रबंधन से वार्ता कर समझौता करना होगा कि हड़ताल की स्थिति में भी कितनी न्यूनतम सेवाएं जारी रखी जाएंगी और इसकी जिम्मेदारी यूनियन की होगी।

परस्पर समझौता न होने पर मामला केंद्रीय पंचाट कमिटी में जाएगा जो न्यूनतम सेवा स्तर तय कर देगी। उदाहरण के तौर पर पंचाट फैसला दे सकता है कि रेल हड़ताल के बावजूद 50 या 70 या 90% सेवाएं चलाई जायें। पंचाट को कहा गया है कि वह इस बात पर ध्यान न दे कि यूनियन बनाना या हड़ताल करना मौलिक अधिकार है या हड़ताल को जनता का समर्थन हासिल है। पंचाट बस यह देखेगा कि शिक्षा या काम के स्थान पर किसी का भी जाना बाधित न हो तथा अर्थव्यवस्था को कोई भी हानि न हो। भविष्य में सरकार संसद की अनुमति के बगैर ही कोई भी शर्त जोड़ सकती है। 

अतः कुल मिलाकर देखें तो पंचाट न्यूनतम नहीं अधिकतम सेवा स्तर तय करेगा, जिसके बाद हड़ताल खुद ही बेमानी हो जाएगी। अगर पंचाट के फैसले के बाद यूनियन अपने सदस्यों को इतनी सेवाएं चलाने का निर्देश न दे तो हड़ताल तुरंत गैर कानूनी हो जाएगी। अतः इसके बाद यूनियन पदाधिकारियों की कानूनी जिम्मेदारी हड़ताल कराने के बजाय हड़ताल तोड़ने की हो जाएगी! स्पष्ट है कि यह हड़ताल के अधिकार पर रोक लगाए बगैर हड़ताल पर रोक है। अर्थात ‘उदार जनतंत्र’ में मजदूरों को कोई अधिकार या आजादी नहीं होगी। यह नया कानून पहले के यूनियन व मजदूर विरोधी कानूनों के अतिरिक्त होगा। कंजरवेटिव पार्टी पहले ही कह चुकी है कि वह श्रमिकों को ‘न्याय’ सुनिश्चित करेगी, पर इस काम में यूनियनों को दूसरों के साथ अन्याय नहीं करने देगी!

अपने ‘तर्क’ से ही यह एक फासिस्ट रुझान वाला कानून है क्योंकि इसमें मजदूरों के दमन हेतु ‘ग्राहकों’ या कहें कि उच्च व मध्य वर्ग की नफरत-हिकारत का इस्तेमाल करने का प्रयास साफ है। दूसरे, यह कानून एक प्रयोग है, जिसके कामयाब होने पर हर क्षेत्र के श्रमिकों की हड़तालों पर रोक के ऐसे कानून लाए जाने निश्चित हैं। इसके पहले टोरी सरकार विरोध प्रदर्शनों पर रोक (https://tinyurl.com/nufnr3vc) व पुलिस को ज्यादा अधिकारों के लिए भी ऐसे ही फासिस्ट कानून ला चुकी है। इनके अंतर्गत एक नारा लिया पोस्टर हाथ में होने के लिए भी किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है। एक नया पब्लिक ऑर्डर कानून भी संसद में है जो विरोध व अभिव्यक्ति के अधिकारों को बेहद सीमित कर देगा। ब्रिटिश ‘उदार जनतंत्र’ की पुलिस इन कानूनों के बाद कितनी ‘उदार’ हो गई है उसके लिए मैंचेस्टर में विरोध प्रदर्शन के दौरान का एक दृश्य संलग्न है।