मजदूर वर्ग के क्रांतिकारी स्वरों एवं विचारों का मंच
पूंजीवाद का संकट श्रमिकों की कम क्रयशक्ति के कारण कम खपत का परिणाम नहीं, बल्कि उत्पादन संबंधों और उत्पादित माल पर स्वामित्व में बुनियादी अंतर्विरोध का नतीजा है। इसलिए, इन संकटों के समाधान की मांग है, निजी संपत्ति मालिकों के मुनाफे के लिए संचालित व्यवस्था के बजाय उत्पादन के समाजीकरण के साथ ही उत्पादन के साधनों के स्वामित्व के भी समाजीकरण पर आधारित सामूहिक सामाजिक जरूरतों की पूर्ति के लिए योजनाबद्ध उत्पादन की समाजवादी प्रणाली।
आज अर्थव्यवस्था का अत्यंत बुरा हाल है। मोदी सरकार की बदइंतजामी, नाकामी तथा पूंजी की खुली-नंगी तरफदारी ने आर्थिक संकट को और बढ़ा दिया है। आम लोगों की खस्ताहाल स्थिति बढ़ती जा रही है। पहले की तुलना में एक बहुत बड़ी आबादी भुखमरी के कगार पर पहुंच गयी है।
बात साफ है कि गरीबों और मेहनतकशों को अपने वर्ग हित के लिए आवाज बुलंद करनी होगी और संघर्ष की राह पर चलते हुए एक नयी दुनिया व समाज बनाने के लिए कमर कसना होगा।