कंपनी प्रशासन के इशारों पर मजदूर नेता पर लगा गुंडा एक्ट व जिलाबदर नोटिस

कंपनी प्रशासन के इशारों पर मजदूर नेता पर लगा गुंडा एक्ट व जिलाबदर नोटिस

July 5, 2024 0 By Yatharth

    इंकलाबी मजदूर केंद्र के नेता कैलाश भट व डॉल्फिन कंपनी के संघर्षरत मजदूरों पर नाजायज कार्रवाई के खिलाफ बयान

    इंकलाबी मजदूर केन्द्र के पूर्व अध्यक्ष कैलाश भट्ट व डॉल्फिन मजदूरों पर गुंडा एक्ट की नोटिस और जिला बदर करने की चेतावनी घोर निंदनीय!

    मासा मजदूर आंदोलन के अपराधीकरण और पुलिस राज कायम करने की इस कोशिश की पुरजोर मुखालफत करता है!

    उत्तराखंड के भाजपा राज में, विशेष रूप से राज्य के औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल में पूंजीपतियों के साथ पुलिस-प्रशासन एवं श्रम विभाग के अधिकारियों का गठजोड़ एकदम नंगे रूप में मजदूरों पर हमलावर है। कंपनी मालिकों के हित में यह घोर अंधेरगर्दी व मजदूरों का दमन राज्य की धामी सरकार के स्पष्ट निर्देशन में जारी है।

    ताजा घटनाक्रम में सिडकुल, पंतनगर में बुनियादी श्रम कानूनों को लागू करने, मालिक के गुंडों के हमलों व दमन के खिलाफ डॉलफिन मजदूरों के जारी आंदोलन के दौरान उधमसिंह नगर के जिलाधिकारी द्वारा इंकलाबी मजदूर केंद्र के पूर्व अध्यक्ष कैलाश भट्ट सहित डॉलफिन मजदूर संगठन के नेताओं ललित कुमार, सोनू कुमार, वीरु सिंह, बबलू सिंह और राजेश सक्सेना पर गुंडा एक्ट लगाने एवं जिला बदर करने की चेतावनी के साथ नोटिस जारी किये गये हैं। जिले के एसएसपी की रिपोर्ट के आधार पर 19 जून को जारी किये गये इन नोटिसों की भाषा भी बेहद निम्न स्तरीय और आपत्तिजनक है।

    डालफिन के मजदूर न्यूनतम वेतनमान देने, बोनस, डबल ओवरटाइम भुगतान और स्थाई नौकरी के स्थान पर जबरन मजदूरों को ठेकेदार के तहत करने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। प्रतिशोधवश डालफिन प्रबंधन ने मजदूर नेताओं की गेटबंदी कर दी, मजदूरों के साथ गुंडई, जानलेवा हमले और महिला मजदूरों के सात छेड़खानी जैसी घटियाई पर उतर आया। इन तमाम घटनाओं के बाद महिला मजदूरों व अन्य द्वारा समय-समय पर पुलिस को दी गई तहरीर पर कोई मुकदमा दर्ज नही किए गए, उल्टा मजदूर नेताओं व उनके सलाहकारों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर दिए गए।

    इस अन्याय के खिलाफ 18 जून 2024 को श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधमसिंह नगर का एक प्रतिनिधि मंडल एसएसपी महोदय से मिलने गया तो उन्होंने मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह को गुंडा कहकर जलील करते हुए अपने कार्यालय से बाहर निकाल दिया। एसएसपी ने मोर्चा प्रतिनिधि मंडल से कहा कि मजदूर अपनी तहरीर से डालफिन कंपनी का नाम हटा लें तो मुकदमा दर्ज कर लिया जाएगा। 20 जून को मोर्चा इसकी शिकायत लेकर डीएम महोदय से मिला और उनके माध्यम से पुलिस महानिरीक्षक महोदय कुमाऊ क्षेत्र को ज्ञापन प्रेषित करके हस्तक्षेप करने की मांग की। उस समय डीएम महोदय ने अपने स्तर से कार्यवाही करने का आश्वासन दिया। लेकिन इसके विपरीत सुनियोजित तरीके से उन्होंने मजदूर नेताओं को गुंडा घोषित कर जिला बदर करने की चेतावनी की नोटिस जारी कर दी।

    जिला प्रशासन की यह परंपरा बन गई है कि जब भी मजदूर अपने हक के लिए आगे आते हैं, तो उनपर मुकदमें दर्ज होते हैं, या शांति भंग की कथित आशंका में पाबंद किया जाता है। बीते दिनों नील ऑटो (जेबीएम), रॉकेट इंडिया, डॉल्फिन, ब्रिटानिया ठेका मजदूरों से लेकर अलग-अलग संघर्षों के दौरान श्रमिक संयुक्त मोर्चा के नेताओं, नेस्ले, लुकास टीवीएस, इंटरार्क, वोल्टास, भगवती, सत्यम ऑटो, गुजरात अंबुजा आदि सहित तमाम कंपनियों के मजदूर इस प्रताड़ना के शिकार होते आ रहे हैं। कथित शांतिभंग के तहत धारा 107, 116, 116(3) के तहत पाबंद हो रहे हैं। स्थिति यह है कि 2019 के चुनाव के समय जिला प्रशासन इंटरार्क व भगवती के मजदूरों को चुनाव में बाधा पहुंचने वाला खतरनाक अपराधी घोषित करके पाबंद करने का हास्यास्पद नोटिस जारी कर चुका है।

    हालात ये हैं कि ऊधम सिंह नगर जिला प्रशासन ने इस वर्ष (2024) ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस (मई दिवस) कार्यक्रम मनाने की अनुमति तक नहीं दी और अंततः उच्च न्यायालय, नैनीताल के आदेश पर मजदूरों ने मई दिवस का आयोजन किया।

    देश के विभिन्न संघर्षशील मजदूर यूनियनों व संगठनों के साझा मंच ‘मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान’ (मासा) इस बेहद क्षोभपूर्ण व निंदनीय घटना का तीखे शब्दों में भर्त्सना और पुरजोर विरोध करता है।

    मासा का मानना है कि क्षेत्र में बेलगाम आपराधिक घटनाओं पर आंखें मूंदे प्रशासन द्वारा हक की आवाज उठाने वालों को गुंडा घोषित करना शासन के चरित्र और निरंकुशता का स्पष्ट नमूना है। उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्र में मालिकों के खुले शोषण, अन्याय, अत्याचार को शासन-प्रशासन व भाजपा सरकार द्वारा बढ़ावा देने; पीड़ित मजदूरों को दबाने की कोशिश और मजदूर नेताओं पर गुंडा एक्ट थोपने से खौफ का माहौल बनाना राज्य में बढ़ते पुलिसिया राज का एक उदाहरण मात्र है।

    ‘मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान’ (मासा) की यह मांग है कि-

    • इंकलाबी मजदूर केन्द्र के पूर्व अध्यक्ष कैलाश भट्ट व डॉल्फिन मजदूरों पर गुंडा एक्ट सहित दर्ज सभी फर्जी मुकदमें रद्द करो!
    • वास्तविक गुंडों पर कार्रवाई की जगह मजदूरों का दमन बंद करो!
    • मजदूरों पर फर्जी मुकदमें थोपने, पाबंद करने पर रोक लगाओ; धरना-प्रदर्शन के संवैधानिक अधिकारों पर हमले बंद करो!
    • प्रबंधन और पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से मजदूरों पर लगे सभी मुकदमों की निष्पक्ष जांच हो!
    • मालिकों की सेवा बंद करो! मजदूरों के शोषण-उत्पीड़न पर रोक लगाओ!
    • डॉल्फिन, लुकास टीवीएस, करोलिया लाइटिंग, इंटरार्क सहित सभी पीड़ित मजदूरों को न्याय दो!

    क्रांतिकारी अभिवादन के साथ,
    केन्द्रीय समन्वय समिति,
    मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा)