फिलिस्तीन मुक्ति संघर्ष विषय पर ‘रेवोल्यूशनरी डिस्कोर्स’ स्टडी सर्कल द्वारा ऑनलाइन सत्र का आयोजन

फिलिस्तीन मुक्ति संघर्ष विषय पर ‘रेवोल्यूशनरी डिस्कोर्स’ स्टडी सर्कल द्वारा ऑनलाइन सत्र का आयोजन

July 5, 2024 0 By Yatharth

रिवॉल्यूशनरी डिस्कोर्स (स्टडी सर्किल) ने 26 जून 2024 को शाम 8 से 10:15 बजे तक “साम्राज्यवाद, जायोनवाद, और फिलिस्तीनी मुक्ति संघर्ष” विषय पर एक ऑनलाइन सत्र आयोजित किया।

भागीदारी-

सत्र में दिल्ली, मुंबई, जयपुर, फरीदाबाद, पटना, गया, रांची, आसनसोल, बठिंडा आदि शहरों से 30 से अधिक लोगों (मुख्य रूप से छात्र, शोधकर्ता, पेशेवर युवा, ट्रेड यूनियन व राजनैतिक कार्यकर्ताओं) ने भाग लिया।

विमर्श-

चर्चा में प्रथम विश्व युद्ध के बाद पश्चिम एशिया के क्षेत्र में ब्रिटेन की साम्राज्यवादी कार्रवाइयों से लेकर फिलिस्तीनी क्षेत्र के तेल और संसाधनों की लूट के लिए मैंडेटरी फिलिस्तीन के निर्माण, 1917 के बाल्फोर घोषणापत्र जिसने जायोनवाद और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के बीच एक कड़ी बनाई, 1947 की संयुक्त राष्ट्र योजना जिसने इजराइल के निर्माण का नेतृत्व किया, जायोनवाद-साम्राज्यवाद के खिलाफ लेकिन इजराइल के निर्माण के पक्ष में सोवियत संघ का पोजिशन और उसका संदर्भ, और तब से अरबों और इजराइल के बीच उभरे विभिन्न युद्ध और संघर्ष, जो आज इजराइल द्वारा फिलिस्तीनियों पर चलाए जा रहे जनसंहार युद्ध का रूप ले चुका है जिसे पूरी तरह से अमेरिकी साम्राज्यवाद का समर्थन प्राप्त है।

7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा अल-अक्सा फ्लड ऑपरेशन के बाद से 38,000 से अधिक फिलिस्तीनियों का इजरायल द्वारा कत्लेआम किया जा चुका है। इस रोशनी में, हमने चर्चा की कि कैसे हमास जैसे धार्मिक कट्टरपंथी संगठनों द्वारा किए गए आतंकी कृत्य किसी भी वास्तविक जन आंदोलन को मजबूत करने से अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इस बात को स्वीकार करते हुए कि जहां घोर अन्याय है वहां शांति नहीं हो सकती, इस बात पर चर्चा की गई कि केवल फिलिस्तीनी जनता का एक व्यापक, धर्मनिरपेक्ष, साम्राज्यवाद-विरोधी जन संघर्ष, जो इजरायल के भी आम मेहनतकश लोगों के साथ एकजुटता में, दोनों के साझा दुश्मन – अमेरिकी साम्राज्यवाद द्वारा समर्थित इजरायली पूंजीवाद – के खिलाफ होगा, ही फिलिस्तीन की राष्ट्रीय मुक्ति के साथ-साथ उस क्षेत्र में समस्त जनता के बीच शांति और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

फिलिस्तीन में वास्तविक जन आंदोलनों के इतिहास, जिसका नेतृत्व बाद में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पी.एल.ओ.) ने 1993 के ओस्लो समझौते तक किया, और उस समय इजरायली शासक वर्ग द्वारा उन आंदोलनों को कमजोर और विभाजित करने के लिए हमास जैसे चरमपंथी संगठन का निर्माण किया जाना, पर भी चर्चा की गई। यह विश्लेषण किया गया कि कैसे जायोनवाद किसी भी तरह से यहूदी राष्ट्रीय प्रश्न का समाधान नहीं है, बल्कि यह एक उपनिवेशवादी परियोजना है जिसका उपयोग अंतर्राष्ट्रीय पूंजी द्वारा इजरायल को पश्चिम एशिया में अपना बेस राष्ट्र बना कर मुनाफा कमाने और लूट करने के लिए एक आवरण और उपकरण के रूप में किया जा रहा है, और जिसके लिए जनसंहार तक किए जा रहे हैं।

जनसंहार युद्ध के पीछे इजरायल और अमेरिकी साम्राज्यवाद की पूंजीपक्षीय मंशाओं को भी चर्चा में लाया गया – पश्चिम एशिया में तेल और प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण, अधिकतम विनाश के बाद पुनर्निर्माण के जरिए अंतर्राष्ट्रीय पूंजी के लिए अधिकतम मुनाफा, फिलिस्तीनियों की स्थिति को अधिकतम अमानवीय बनाकर उनकी मजदूरी और जीवन जीविका की मांगों का उतना ही न्यूनतम बनना, और आसपास के देशों, जो सभी साम्राज्यवादी व्यवस्था का हिस्सा हैं, पर उनकी निर्भरता का अधिकतम बढ़ना।

समापन-

सत्र का समापन चर्चा को सारांशित करके और फिलिस्तीनी जनता के एक शक्तिशाली दुश्मन, जो सबसे मजबूत साम्राज्यवादी देशों द्वारा समर्थित एक परमाणु शक्ति भी है, के खिलाफ अथक मुक्तिकामी संघर्ष में उनके साथ एकजुटता व्यक्त करके किया गया।

विमर्श में भाग लेने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देते हुए अगले महीने एक और प्रासंगिक मुद्दे पर अगला सत्र आयोजित करने का संकल्प लिया गया।