‘हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये’ (कविता) – अदम गोंडवी
January 3, 2025प्रगतिशील जन कवि अदम गोंडवी (22 अक्टूबर 1947 – 18 दिसंबर 2011) की याद में उनकी कविता
हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़ियेहममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़ियेगर गलतियां बाबर की थीं; जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़ियेहैं कहां हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज खां
मिट गये सब, कौम की औकात को मत छेड़ियेछेड़िये इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िये।