मजदूर वर्ग के क्रांतिकारी स्वरों एवं विचारों का मंच
सवाल छोटी पूंजियों को बचाने का नहीं है, क्योंकि इसे बचाया ही नहीं जा सकता है। मुख्य सवाल यह है कि आज जो स्थिति है और यह जिस ओर बढ़ रही है उसको देखते हुए मजदूर वर्ग की मुक्ति का रास्ता सिवाय इसके और कुछ नहीं हो सकता है कि सर्वहारा क्रांति के जरिये समाज के पुनर्गठन और समाजवाद की पूर्ण विजय के लक्ष्य को सामने रखते हुए आगे के रास्तों का अनुसरण किया जाए। किसानों को यह बात बतानी जरूरी है, उनके निर्धनतम हिस्से को इस रास्ते पर लाना जरूरी है और इसलिये किसान आंदोलन में इस दिशा से हस्तक्षेप अत्यावश्यक है। अन्य छोटी व मंझोली पूंजियों के साथ भी यही बात है कि उन्हें भी सर्वहारा वर्ग की अधीनता में आना होगा तभी उनके जीवन का सार बचेगा। जहां तक उनकी वर्तमान उत्पादन पद्धति का है, उसका सर्वहारा वर्ग का राज्य अंत कर देगा, क्योंकि उसके अंत में ही मानवजाति के सार को बचाने का मूलमंत्र छिपा है। पूंजीवादी उत्पादन संबंध के नाश में उन सबका बचाव है जिसमें बड़ी पूंजी की मार से तबाह होते सारे तबके व संस्तर शामिल हैं।