
बड़ी पूंजी (कॉरपोरेटों) के हक में आनन-फानन में किये जा रहे बिहार भूमि सर्वेक्षण पर रोक लगाओ!
भूमिहीनों, गरीबों को उजाड़ना बंद करो; भूमि पर उनका दावा बहाल करो! (बिहार में जारी…
भूमिहीनों, गरीबों को उजाड़ना बंद करो; भूमि पर उनका दावा बहाल करो! (बिहार में जारी वर्तमान भूमि सर्वेक्षण पर जन अभियान, बिहार द्वारा गांधी संग्रहालय, पटना में 9 जनवरी 2025 को आयोजित कन्वेंशन में पेश प्रपत्र।) जन अभियान, बिहार बिहार में चल रहे (बढ़ी हुई समय अवधि के साथ) भूमि सर्वे में अफरातफरी की स्थिति…
मुकेश असीम | सर्वहारा #71-73 (1 मार्च – 15 अप्रैल 2025) पूंजीवादी व्यवस्था का दावा रहा है कि उसने जनतंत्र कायम किया और सभी को अभिव्यक्ति का जनतांत्रिक अधिकार दिया है, हालांकि सच्चाई यह है कि पूंजीवाद में हर अधिकार वास्तव में सम्पत्तिशालियों के लिए ही होता है। संपत्तिहीन मजदूर मेहनतकश इन अधिकारों का प्रयोग…
संपादकीय | सर्वहारा #71-73 (1 मार्च – 15 अप्रैल 2025) इस संबंध में देश के प्रतिष्ठित अखबारों (जैसे कि इकोनॉमिक टाइम्स और फाइनेंशियल टाइम्स) में छपी पूंजीवादी थिंक-टैंक के एक सदस्य सौरभ मुखर्जी (मार्सेलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी) की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के मध्य वर्ग1 की आर्थिक स्थिति…
अजय सिन्हा | ‘यथार्थ’ पत्रिका (जनवरी-मार्च 2025) आम तौर पर 1991 में नरसिम्हा राव की सरकार के दौर की आर्थिक नीतियों पर चर्चा होती है, तो प्राय: तत्कालीन भारतीय अर्थव्यवस्था के वास्तविक कार्यचालन (actual working) को उजागर करने पर हमारा ध्यान न के बराबर होता है। ध्यान महज नीतियों के अच्छे या बुरे होने पर…
संपादकीय | ‘यथार्थ’ पत्रिका (जनवरी-मार्च 2025) बजट व अन्य आर्थिक नीतियां – ‘फ्रीबीज-रेवड़ियां’ सिर्फ पूंजीपतियों-अमीरों को ही, गरीब इससे मुफ्तखोर बनते हैं! – फासीवादी दौर का ‘वेलफेयर’ मॉडल सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर चुनावों के पहले मुफ्त चीजें या फ्रीबीज देने के राजनीतिक दलों के वादे पर नाराजगी जताई और कहा कि लोग काम…