भाजपा को हराना जरूरी है, 

लेकिन क्रांतिकारी जन-उभार की सरकार ही फासीवाद का अंत कर सकती है  संपादकीय, अप्रैल 2024 पूरे देश में चुनाव की सरगर्मियां शबाब पर हैं। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है, देश के राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं। हम देख सकते हैं कि जैसे ही चुनाव ने जन-सरोकार के मुद्दों के इर्द-गिर्द घुमना शुरू…

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फासीवाद के खिलाफ लड़ाई पर फिर एक बार चर्चा 

[14-15 दिसंबर 2024 को दिल्ली में ‘रेडिकल वामपंथी ताकतों की अखिल भारतीय परामर्श बैठक’ हेतु अंग्रेजी पेपर का अनुवाद] पी आर सी, सीपीआई (एमएल) 1. फासीवाद की परिभाषा और वर्ग चरित्र जब फासीवाद सत्ता में होता है, तो यह वित्तीय पूंजी के सबसे प्रतिक्रियावादी, सबसे अंधराष्ट्रवादी और सबसे साम्राज्यवादी तत्वों की खुली आतंकवादी तानाशाही होता…

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गिरती आर्थिक वृद्धि व लाभ दर से तीव्र होते अंतर्विरोध फासीवादी तानाशाही को नग्न रूप लेने की ओर बढ़ा रहे हैं

संपादकीय, दिसंबर 2024 पूंजी का मानवद्रोही चरित्र ही ऐसा है कि उसका संकट उसे हमेशा ही ध्वंसात्मक दिशा में ले जाता है क्योंकि यह विनाश ही उसके लिए एक तात्कालिक राहत लाता है। कोविड के नाम पर निर्मम लॉकडाउन पूंजी के लिए ऐसी ही एक तात्कालिक राहत थी जब आर्थिक गतिविधियों के बंद होने से…

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भारत में फासीवाद पर बहस

फासीवाद के विरुद्ध वैचारिक–राजनीतिक एकता एवं व्यवहारिक एकजुटता कायम करें! (जनचेतना यात्रा के बिहार चैप्टर द्वारा जारी पर्चे को संदर्भ में लेते हुए एक त्वरित टिप्पणी) पीआरसीसीपीआई (एमएल) जन चेतना यात्रा के बिहार चैप्टर द्वारा जारी पर्चे में यह बिल्कुल सही बात कही गई है कि आज हमारे देश भारत की पुरानी शक्ल-सूरत कहीं दिखाई…

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डॉ अंबेदकर, दलितवाद और जाति प्रश्न

इतिहास और वर्तमान का मूल्यांकन करते हुए सामाजिक संघर्ष खासकर जाति-उन्मूलन के मोर्चे पर हमारे कार्यभार (यथार्थ के मार्च 2023 अंक से) चार भागों में– I प्रस्तावना II डॉ अंबेदकर की वैचारिकी एवं उस पर आधारित दलितवाद की सीमा III अंग्रेजों के जाने के बाद बने भारतीय पूंजीवादी राज्य के आईने में क्रांतिकारी दलित उभार की…

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मजदूर-मेहनतकश वर्ग से आह्वान

फासीवाद के खतरे को पहचानें और इसके खिलाफ कमर कसने की तैयारी करें!   आईएफटीयू (सर्वहारा) मजदूर-मेहनतकश साथियो!  फासीवाद क्या है? फासीवाद सांप्रदायिक नफरत, नस्लीय घृणा और उग्र राष्ट्रवाद पर आधारित एक घोर प्रतिक्रियावादी राजनीतिक मुहिम व आंदोलन का नाम है। फासीवादी तानाशाही क्या है? जब फासीवाद सतारूढ़ हो जाता है, तब फासीवादी तानाशाही का…

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जाति उन्मूलन कार्यक्रम की दिशा में

“जाति उन्मूलन का कार्यभार और मजदूर वर्ग का ऐतिहासिक मिशन” 6 अक्टूबर 2024 को अंबेडकर भवन, दिल्ली में सर्वहारा जनमोर्चा (प्रोलेतारियन पीपल्स फ्रंट) द्वारा आयोजित कन्वेंशन का आधार पत्र पूंजीपति व सर्वहारा के बीच मुख्य अंतर्विरोध के साथ ही भारतीय समाज में अन्य के साथ ही जाति अंतर्विरोध भी एक अहम कारक के रूप में…

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फासीवाद और मजदूर वर्ग का दायित्व

(मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (MASA), दिल्ली द्वारा 12 अक्टूबर 2025 को ‘बढ़ता फासीवादी खतरा और मजदूर वर्ग‘ विषय पर अम्बेडकर भवन, दिल्ली में आयोजित कन्वेंशन में आईएफटीयू–सर्वहारा का वक्तव्य) I   मजदूर अक्सर पूछते हैं, फासीवाद क्या है? फासीवाद के बारे में सबसे पहली बात तो यही है कि यह पूंजीपति वर्ग की तानाशाही का…

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अक्‍टूबर क्रांति और इस रास्‍ते पर चलने की जरूरत के बारे में चंद बातें

संपादकीय, सर्वहारा, 30 अक्टूबर 2025 अक्‍टूबर क्रांति – मजदूर-मेहनतकश वर्ग की समाजवादी क्रांति – 25 अक्‍टूबर 1917 को शुरू हुई और अगले दिन यानी 26 अक्‍टूबर की शाम तक संपन्‍न भी हो गई थी। मजदूर-मेहनतकश वर्ग ने पूंजीपति वर्ग की सत्ता उलट दी थी और लेनिन द्वारा निर्मित बोल्‍शेविक पार्टी के नेतृत्‍व में सत्ता अपने…

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फासीवादी दौर में महिलाओं पर बढ़ता उत्पीड़न और महिला मुक्ति का प्रश्न

30 दिसंबर 2024 को आसनसोल बार एसोसिएशन हॉल, पश्चिम बर्धमान, पश्चिम बंगाल में कॉमरेड सुनील पाल की 15वीं शहादत वर्षगांठ के अवसर पर पीआरसी, सीपीआई (एमएल) तथा इफ्टू (सर्वहारा) द्वारा उपर्युक्त विषय पर आयोजित केंद्रीय कन्वेंशन में पेश आधार पत्र।  मूल दस्तावेज़ अंग्रेजी में है जिसका यह हिंदी में अनुवादित संस्करण है। भूमिका हाल के…

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