मई दिवस के वीर शहीद अल्बर्ट पारसंस की फांसी पर उनकी पत्नी और क्रांतिकारी नेता लूसी पारसंस का अदालत में बयान

May 25, 2023 0 By Yatharth

मई दिवस का इतिहास

“जज आल्टगेल्ड, क्या आप इस बात से इन्कार करेंगे कि आपके जेलखाने गरीबों के बच्चों से भरे हुए हैं, अमीरों के बच्चों से नहीं? क्या आप इन्कार करेंगे कि आदमी इसलिए चोरी करता है क्योंकि उसका पेट खाली होता है? क्या आपमें यह कहने का साहस है कि वे भूली-भटकी बहनें, जिनकी आप बात करते हैं, एक रात में दस से बीस व्यक्तियों के साथ सोने में प्रसन्नता महसूस करती हैं, अपनी अंतड़ियों को दगवाकर बहुत खुश होती हैं?”

पूरे हॉल में विरोध का शोर गूंजने लगा : “शर्मनाक” और “घृणास्पद” की आवाजें उठने लगी। एक पादरी उठा और आवेश से कांपते हुए अपने छाते को जोर-शोर से हिलाकर उसने जज से हस्तक्षेप करने को कहा। दूसरों ने भी शोर किया। परन्तु जज आल्टगेल्ड ने, जैसा कि अगले दिन अखबारों ने भी लिखा, प्रशंसनीय ढंग से आचरण किया। उसने अपने हाथ के इशारे से शोर-शराबे को शान्त किया। उसने व्यवस्था बनाये रखने का आदेश दिया और उसे लागू किया। उसने कहा, “मंच पर एक महिला खड़ी है। क्या हम इतने उद्दण्ड होकर नम्रता की धज्जियां उड़ायेंगे?” फिर श्रीमती पार्सन्स की ओर मुड़ते हुए उसने कहा, “कृपया आप अपनी बात जारी रखें, श्रीमती पार्सन्स, और उसके बाद अगर आप चाहेंगी तो मैं आपके सवाल का जवाब दूंगा।” तो यह थी बहुचर्चित लूसी पार्सन्स! हॉल में फुसफुसाहट हुई और श्रीमती पार्सन्स ने, जो इस दौरान पूरे समय दृढ़तापूर्वक खड़ी रही थी, बोलना शुरू किया : “आप सब लोग जो सुधार की बातें करते हैं, सुधार का उपदेश देते हैं और सुधार की गाड़ी पर चढ़कर स्वर्ग तक पहुंचना चाहते हैं, आप लोगों की सोच क्या है? जज आल्टगेल्ड कैदियों के लिए धारीदार पोशाक की जगह भूरे सूट की वकालत करते हैं। वह रचनात्मक कार्य, अच्छी किताबों और हवादार, साफ-सुथरी कोठरियों की वकालत करते हैं। बेशक उनका यह कहना सही है कि कठोर दंड की सजा पाये कैदियों को पहली बार अपराध के लिए सजा भुगतने वाले कैदियों से अलग रखा जाना चाहिए। वह एक जज हैं और इसलिए जब वह न्याय के पक्ष में ढेर सारी बातें करते हैं मुझे आश्चर्य नहीं होता क्योंकि अगर कोई चीज मौजूद ही नहीं है तो भी उसकी चर्चा तो अवश्य होनी चाहिए। नहीं, मैं जज आल्टगेल्ड की आलोचना नहीं कर रही हूं। मैं उनसे सहमत हूं जब वे यन्त्रणा की भयावहता के विरुद्ध आवाज उठाते हैं। मैंने एक बार नहीं, अनेकों बार तकलीफें और यातनाएं बरदाश्त की हैं। मेरे शरीर पर उसके ढेरों निशान हैं। लेकिन मैं तुम्हारे सुधारों के झांसे में नहीं आती। यह समाज तुम्हारा है, जज आल्टगेल्ड। तुम लोगों ने इसे बनाया है और यही वह समाज है जो अपराधियों को पैदा करता है। एक स्त्री अपना शरीर बेचने लगती है क्योंकि यह भूखे मरने की तुलना में थोड़ा बेहतर है। एक इन्सान इसलिए चोर बन जाता है क्योंकि तुम्हारी व्यवस्था उसे कानून तोड़ने वाला घोषित करती है। वह तुम्हारे नीतिशास्त्र को देखता है जो कि जंगली जानवरों के आचार-व्यवहार का शास्त्र है और तुम उसे जेलखाने में ठूंस देते हो क्योंकि वह तुम्हारे आचार-व्यवहार का पालन नहीं करता है। और अगर मजदूर एकजुट होकर रोटी के लिए संघर्ष करते हैं, एक बेहतर जिन्दगी के लिए लड़ाई लड़ते हैं, तो तुम उन्हें भी जेल भेज देते हो और अपनी आत्मा को सन्तुष्ट करने के लिए हर-हमेशा सुधार की बात करते हो, सुधार की बातें। नहीं, जज आल्टगेल्ड, जब तक तुम इस व्यवस्था की, इस नीतिशास्त्र की हिफाजत और रखवाली करते रहोगे, तब तक तुम्हारी जेलों की कोठरियां हमेशा ऐसे स्त्री-पुरुषों से भरी रहेंगी जो मौत की बजाय जीवन चुनेंगे – वह अपराधी जीवन जो तुम उन पर थोपते हो।”