Yatharth

PROLETARIAN STRATEGY AGAINST CASTE IDEOLOGY, CASTE OPPRESSION & CASTE SYSTEM

It is true, anti-caste struggle is needed inside class unity so that class struggle remains unpolluted by caste prejudice and caste mentality. It must become the acid test of real class unity. The real challenge – and the task of this convention – is to fuse anti-caste and anti-class struggle inside and outside the movement, in theory and in daily practice.

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“जाति व्यवस्था, जाति विचारधारा और जाति उत्पीड़न के विरुद्ध सर्वहारा रणनीति” 

वर्ग एकता के अंदर भी जाति-विरोधी और जातीय मानसिकता-विरोधी संघर्ष की जरूरत है ताकि वर्ग-संघर्ष जाति के भेदभाव और जाति की मानसिकता से दूषित न हो। इसे असली वर्ग एकता की अग्नि परीक्षा होना चाहिए। असली चुनौती – और इस कन्वेंशन का असली उद्देश्‍य व काम – आंदोलन के अंदर और बाहर, सिद्धांत रूप में और रोजाना व्यवहार में, जाति-विरोधी और वर्ग-विरोधी संघर्ष का  परस्पर संलयन कैसे हो, यही है।

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बिहार चुनाव परिणाम 

जोड़-तोड़ व धर्म-जाति के चुनावी समीकरणों की राजनीति से नहीं, मजदूरों मेहनतकशों उत्पीड़ित जनता की मुक्तिकामी राजनीति से ही फासीवाद की पराजय मुमकिन संपादकीय, सर्वहारा, 1-30 नवंबर बिहार चुनाव परिणामों में बीजेपी की बड़ी जीत से उन्हें भारी धक्का लगा है, जो इस चुनाव में विपक्षी महागठबंधन की ‘तय विजय’ के भरोसे फासीवादी बीजेपी को…

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भाजपा को हराना जरूरी है, 

लेकिन क्रांतिकारी जन-उभार की सरकार ही फासीवाद का अंत कर सकती है  संपादकीय, अप्रैल 2024 पूरे देश में चुनाव की सरगर्मियां शबाब पर हैं। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ रहा है, देश के राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं। हम देख सकते हैं कि जैसे ही चुनाव ने जन-सरोकार के मुद्दों के इर्द-गिर्द घुमना शुरू…

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फासीवाद के खिलाफ लड़ाई पर फिर एक बार चर्चा 

[14-15 दिसंबर 2024 को दिल्ली में ‘रेडिकल वामपंथी ताकतों की अखिल भारतीय परामर्श बैठक’ हेतु अंग्रेजी पेपर का अनुवाद] पी आर सी, सीपीआई (एमएल) 1. फासीवाद की परिभाषा और वर्ग चरित्र जब फासीवाद सत्ता में होता है, तो यह वित्तीय पूंजी के सबसे प्रतिक्रियावादी, सबसे अंधराष्ट्रवादी और सबसे साम्राज्यवादी तत्वों की खुली आतंकवादी तानाशाही होता…

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गिरती आर्थिक वृद्धि व लाभ दर से तीव्र होते अंतर्विरोध फासीवादी तानाशाही को नग्न रूप लेने की ओर बढ़ा रहे हैं

संपादकीय, दिसंबर 2024 पूंजी का मानवद्रोही चरित्र ही ऐसा है कि उसका संकट उसे हमेशा ही ध्वंसात्मक दिशा में ले जाता है क्योंकि यह विनाश ही उसके लिए एक तात्कालिक राहत लाता है। कोविड के नाम पर निर्मम लॉकडाउन पूंजी के लिए ऐसी ही एक तात्कालिक राहत थी जब आर्थिक गतिविधियों के बंद होने से…

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भारत में फासीवाद पर बहस

फासीवाद के विरुद्ध वैचारिक–राजनीतिक एकता एवं व्यवहारिक एकजुटता कायम करें! (जनचेतना यात्रा के बिहार चैप्टर द्वारा जारी पर्चे को संदर्भ में लेते हुए एक त्वरित टिप्पणी) पीआरसीसीपीआई (एमएल) जन चेतना यात्रा के बिहार चैप्टर द्वारा जारी पर्चे में यह बिल्कुल सही बात कही गई है कि आज हमारे देश भारत की पुरानी शक्ल-सूरत कहीं दिखाई…

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डॉ अंबेदकर, दलितवाद और जाति प्रश्न

इतिहास और वर्तमान का मूल्यांकन करते हुए सामाजिक संघर्ष खासकर जाति-उन्मूलन के मोर्चे पर हमारे कार्यभार (यथार्थ के मार्च 2023 अंक से) चार भागों में– I प्रस्तावना II डॉ अंबेदकर की वैचारिकी एवं उस पर आधारित दलितवाद की सीमा III अंग्रेजों के जाने के बाद बने भारतीय पूंजीवादी राज्य के आईने में क्रांतिकारी दलित उभार की…

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मजदूर-मेहनतकश वर्ग से आह्वान

फासीवाद के खतरे को पहचानें और इसके खिलाफ कमर कसने की तैयारी करें!   आईएफटीयू (सर्वहारा) मजदूर-मेहनतकश साथियो!  फासीवाद क्या है? फासीवाद सांप्रदायिक नफरत, नस्लीय घृणा और उग्र राष्ट्रवाद पर आधारित एक घोर प्रतिक्रियावादी राजनीतिक मुहिम व आंदोलन का नाम है। फासीवादी तानाशाही क्या है? जब फासीवाद सतारूढ़ हो जाता है, तब फासीवादी तानाशाही का…

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जाति उन्मूलन कार्यक्रम की दिशा में

“जाति उन्मूलन का कार्यभार और मजदूर वर्ग का ऐतिहासिक मिशन” 6 अक्टूबर 2024 को अंबेडकर भवन, दिल्ली में सर्वहारा जनमोर्चा (प्रोलेतारियन पीपल्स फ्रंट) द्वारा आयोजित कन्वेंशन का आधार पत्र पूंजीपति व सर्वहारा के बीच मुख्य अंतर्विरोध के साथ ही भारतीय समाज में अन्य के साथ ही जाति अंतर्विरोध भी एक अहम कारक के रूप में…

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