गिरती आर्थिक वृद्धि व लाभ दर से तीव्र होते अंतर्विरोध फासीवादी तानाशाही को नग्न रूप लेने की ओर बढ़ा रहे हैं
संपादकीय, दिसंबर 2024 पूंजी का मानवद्रोही चरित्र ही ऐसा है कि उसका संकट उसे हमेशा ही ध्वंसात्मक दिशा में ले जाता है क्योंकि यह विनाश ही उसके लिए एक तात्कालिक राहत लाता है। कोविड के नाम पर निर्मम लॉकडाउन पूंजी के लिए ऐसी ही एक तात्कालिक राहत थी जब आर्थिक गतिविधियों के बंद होने से…
