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संविधान बदलाव की कोशिश – अधमरे बुर्जुआ जनवाद को फासीवादी ताबूत में दफनाने की तैयारी

मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था, संसद, सुप्रीम कोर्ट, आदि की रक्षा का सीमित नारा भारत में फासीवाद से लड़ने का आधार न तो बन पा रहा है, न ही बन सकता है, क्योंकि पूंजीपति वर्ग शासन के संचालन हेतु बनी व्यवस्था उसके आर्थिक संकट से घिर जाने पर सड़कर आने वाले फासीवाद का औजार बननी स्वाभाविक व निश्चित है। फासीवाद के वास्तविक विरोध के लिए शोषणमुक्त व हर किस्म के उत्पीड़न व भेदभाव से रहित, असली समानता आधारित समाज का एक नया खाका प्रस्तुत करना ही होगा।

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