बिहार चुनाव परिणाम 

जोड़-तोड़ व धर्म-जाति के चुनावी समीकरणों की राजनीति से नहीं, मजदूरों मेहनतकशों उत्पीड़ित जनता की मुक्तिकामी राजनीति से ही फासीवाद की पराजय मुमकिन संपादकीय, सर्वहारा, 1-30 नवंबर बिहार चुनाव परिणामों में बीजेपी की बड़ी जीत से उन्हें भारी धक्का लगा है, जो इस चुनाव में विपक्षी महागठबंधन की ‘तय विजय’ के भरोसे फासीवादी बीजेपी को…

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संविधान बदलाव की कोशिश – अधमरे बुर्जुआ जनवाद को फासीवादी ताबूत में दफनाने की तैयारी

मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था, संसद, सुप्रीम कोर्ट, आदि की रक्षा का सीमित नारा भारत में फासीवाद से लड़ने का आधार न तो बन पा रहा है, न ही बन सकता है, क्योंकि पूंजीपति वर्ग शासन के संचालन हेतु बनी व्यवस्था उसके आर्थिक संकट से घिर जाने पर सड़कर आने वाले फासीवाद का औजार बननी स्वाभाविक व निश्चित है। फासीवाद के वास्तविक विरोध के लिए शोषणमुक्त व हर किस्म के उत्पीड़न व भेदभाव से रहित, असली समानता आधारित समाज का एक नया खाका प्रस्तुत करना ही होगा।

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