अपनी उपलब्धियां बताने का समय नहीं है यह

August 17, 2023 0 By Yatharth

कैलाश मनहर

(कैलाश मनहर द्वारा प्रस्तुत इस कविता में मुख्य रूप से फासीवाद के खिलाफ संघर्ष में उतरने के लिए कवियों का आह्वान किया गया है, लेकिन इसका संदेश सभी फासीवाद-विरोधी ताकतों के लिए सटीक बैठता है।   – संपादक मंडल)

अपनी उपलब्धियां बताने का समय नहीं है यह

अपनी कमजोरियां पहचानने का समय है

जनशत्रु जब लगातार आक्रामक हो रहे हैं

यह सम्मान जुगाड़ने का समय नहीं है कवि जी

स्वयं को बड़ा कवि सिद्ध करने का समय नहीं है यह

बल्कि बड़े कवियों से सवाल पूछने का समय है

कि उनकी तथाकथित अच्छी कविताओं के बावजूद

धर्मांधता क्यों बढ़ गई समाज में और फासिज्म

कैसे आ गया बावजूद उनके तथाकथित प्रतिरोध के

कितनी तो चर्चित और पुरस्कृत होने योग्य

कवितायें लिखीं उन्होंने और कितनी प्रतिबद्धता

प्रदर्शित की भव्य मंचों से भाषण देते हुये

कितने तो सिद्धांत बघारे और प्रतिपादित किये

कितनी तो प्रशंसा बटोरी साहित्य क्षेत्र में

क्या वास्तव में यह सब पाखण्ड नहीं था कवि जी

कि अभिजात्य दम्भ में उस जन से दूरी

बनाये रखी बड़े कवियों ने कि फंसता ही चला गया

फासिज्म की गिरफ्त में ध्रुवीकृत होता

कि नहीं समझ सके सामान्य जन कविता के अर्थ

अब तो मान लो कवि जी कि बड़ा कवि होना

और आम जन से जुड़े रहना बिल्कुल

अलग-अलग बातें हैं कि जन मानस में असर

हो ही गया चालाक फासिस्टों का और

असफल रही आपकी तमाम कवितायें वाकई

कभी कभार जनता के बीच भी जाया कीजिये कवि जी

समझाया कीजिये लोगों कि यह धर्मांधता

जिसके नशे में वे भ्रमित हैं बहुत ही खतरनाक है

बताइये लोगों को कि देश तबाह हो सकता है

अंधास्थापूर्ण कुत्सित बहुसंख्यक ध्रुवीकरण के कारण

यदि वास्तव में प्रतिबद्ध हैं आप मनुष्यता के लिये

तो कुछ उत्तरदायित्व भी निर्वाह कीजिये

वर्ना भावी इतिहास में लिखा जायेगा कि

पराजित हो गये थे कवि भी तानाशाह से संघर्ष में।