प्रतिबद्धता

October 5, 2023 0 By Yatharth

अवतार सिंह ‘पाश’

73वें जन्मदिवस पर उनकी रचना

हम झूठ मूठ का कुछ भी नहीं चाहते

जिस तरह हमारी मांसपेशियों में मछलियां हैं

जिस तरह बैलों की पीठ पर उभरे

चाबुकों के निशान हैं जिस तरह कर्ज के कागजों में

हमारा सहमा और सिकुड़ा हुआ भविष्य है

हम जिंदगी, बराबरी या कुछ भी और

इसी तरह सचमुच का चाहते हैं

जिस तरह सूरज हवा और बादल

घरों और खेतों में हमारे अंग-संग रहते हैं

हम उसी तरह हुकूमतों, विश्वासों और खुशियों को

अपने साथ साथ देखना चाहते हैं

ताकतवरों, हम सब कुछ सचमुच का देखना चाहते हैं

हम उस तरह का कुछ भी नहीं चाहते

जैसे पटवारी का ‘ईमान’ होता है

या जैसे किसी आढ़ती की कसम होती है-

हम चाहते हैं अपनी हथेली पर कोई इस तरह का सच

जैसे गुड़ की पत्त में ‘कण’ होता है

जैसे हुक्के में निकोटिन होती है

जैसे मिलन के समय महबूब के होंठों पर

मलाई-जैसी कोई चीज होती है

हम नहीं चाहते

पुलिस की लाठियों पर टंगी किताबों को पढ़ना

हम नहीं चाहते

फौजी बूटों की टाप पर हुनर का गीत गाना

हम तो वृक्षों पर खनकते संगीत को

अरमान-भरे पोरों से छूकर देखना चाहते हैं

आंसू गैस के धुएं में नमक चाटना

या अपनी ही जीभ पर अपने ही लहू का स्वाद चखना

किसी के लिये भी मनोरंजन नहीं हो सकता

लेकिन हम झूठ मूठ का कुछ भी नहीं चाहते

और हम सब कुछ सचमुच का देखना चाहते हैं जिंदगी, समाजवाद या कुछ भी और…