जेट एयरवेज को पुनर्जीवन – श्रमिकों के साथ ठगी

जेट एयरवेज को पुनर्जीवन – श्रमिकों के साथ ठगी

September 13, 2021 0 By Yatharth

  एम असीम

दिवालिया हुई जेट एयरवेज को पुनर्जीवित किया जा रहा है। कॉर्पोरेट मीडिया और आर्थिक विश्लेषक खुश हैं। मुरारी जालान और कालरोक कैपिटल के गठजोड़ को कंपनी को अपने स्वामित्व में लेने के लिए प्रोत्साहन के रूप में उस पर बकाया कर्ज में से 90% से अधिक को बैंकों ने बट्टे खाते में ड़ाल दिया है।

पर जेट एयरवेज के उन 16 हजार से अधिक कर्मियों का क्या, जिनके किये गए काम का वेतन और ग्रैचुइटी का कम से कम 3 लाख रु से लेकर दसियों लाख रु से अधिक तक अभी भी बकाया है? बैंक तो निवेशक हैं, मुनाफे के लिए पूंजी लगाते हैं, कारोबार में मुकसन होने पर पूंजी से हाथ भी ढोते हैं, यही पूंजीवाद का नियम है। किन्तु, श्रमिकों ने तो अपनी श्रमशक्ति बेची है। कारोबार में बिक्री और लाभ-हानि से उनका कोई संबंध नहीं है, न उन्हें लाभ में हिस्सा मिलता है न उन्हें हानि में हिस्सेदार बनाया जाना चाहिए। उन्होने अपना श्रम दिया है, जिसकी तय मजदूरी उन्हें प्राप्त होनी चाहिए। 

पर यह नया गठजोड़ नही उन्हें कुछ नहीं देने जा रहा, बिल्कुल भी कुछ नहीं।

ठीक है, कुछ लोग तो जरूर कहेंगे ही कि हम तथ्यों को तोड़ मरोड़ रहे हैं क्योंकि कर्जदाता बैंकों और दिवालिया मामलों की कंपनी अदालत (एनसीएलटी) ने मिलकर जेट एयरवेज को नए मालिकों को सौंपने के लिए जो पैकेज स्वीकार किया है उसमें जेट के पुराने कामगारों को निम्न ‘शानदार व उदारतापूर्ण’ पैकेज का ऑफर दिया गया है:

  1. सभी कामगारों को 11,000 रु नकद
  2. आश्रितों के इलाज के लिए एक बार 5,100 रु
  3. बच्चों के लिए एक बार 6,200 रु
  4. एक बार मोबाइल रीचार्ज के लिए 500 रु
  5. जेट एयरवेज के पुराने भंडार में पड़े लैपटाप, टैबलेट या मोबाइल में से कोई एक

  6. पुनर्जीवित एयरलाइन के टिकट खरीदने के लिए 10,000 रु के वाउचर

किन्तु इस ‘उदारतापूर्ण’ पैकेज के लिए भी एक शर्त है। एयरलाइन के पुराने कामगारों को कम से कम 95% द्वारा ऑफर की तारीख के 30 दिन के अंदर (5 अगस्त तक) तक इसे स्वीकार करना जरूरी है अन्यथा यह स्वतः अमान्य हो जायेगा और उस स्थिति में कामगारों को कुछ भी नहीं मिलेगा। क्योंकि जेट एयरवेज सालों से बंद है और बीच में कोविड़ महामारी से हुई तकलीफ की वजह से एयरलाइन के बेरोजगार कामगारों को जहां हो सके वहां, दूसरे शहरों तक में, रोजगार के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस हालत में 30 दिन में सबको जुटा कर इस पैकेज पर वोट करा इसे स्वीकृति दिलाना लगभग नामुमकिन है। अतः ज्यादा संभावना यही है कि जेट के इन कामगारों को अपनी मेहनत की कमाई में से बकाया वेतन और ग्रैचुइटी से पूरी तरह वंचित करते हुये उसमें से एक धेला भी भुगतान नहीं किया जायेगा, जबकि कर्जमाफ़ी प्राप्त एयरलाइन की सारी संपत्ति के मालिक बन पूंजीपतियों का यह नया गठजोड़ अपनी जेब गर्म करने में कामयाब होगा। इस प्रकार कामगारों के लिए इतना लो या भागो किस्म का यह प्रस्ताव कॉर्पोरेट बेदर्दी और निर्दयता का निहायत ठेठ अपमानजनक नमूना है।