किस्से
May 25, 2023राजेंद्र वर्मा
तुम्हारी बैठकी में चल रहे सिंगार के किस्से,
किसी के घर सिसकते हाय! अत्याचार के किस्से,
रचे तुमने भले ही सैकड़ों प्रतिकार के किस्से,
रचे जाएंगे अब, तुम देखना, अंगार के किस्से।
तुम्हारी राह में बिछते ही आए फूल सदियों से,
हमारी राह क्यों आए हमेशा खार के किस्से।
तुम्हारी किस्सागोई भी गजब भी किस्सागोई है,
कभी इस पार के किस्से, कभी उस पार के किस्से।
हमें मालूम, सच लिखना यहां अपराध है लेकिन,
हमारी लेखनी लिक्खेगी कारागार के किस्से।
मनुजता त्रस्त होती है, मगर इतिहास लिखता है,
किसी की जीत के किस्से, किसी की हार के किस्से।