आधी-अधूरी लड़ाई नहीं, 100% रोजगार गारंटी का संघर्ष तेज करें!

August 17, 2023 0 By Yatharth

योग्यतानुसार, स्थायी, सम्मानजनक रोजगार की गारंटी करो!

रोजगार में सभी श्रम कानूनों को सख्ती से लागू करो!

साथियों! आज देश की एक बड़ी आबादी बेरोजगारी की मार झेल रही है। इसका दंश जितना आंकड़ों में दिखता है, असल में उससे कहीं ज्यादा युवाओं के जीवन में मौजूद है। नौकरी और शिक्षा की तलाश में गांवों व छोटे कस्बों से उठ कर शहर आये नौजवान पिंजरे जैसे छोटे बंद कमरों में अपना पूरा संसार समेटे एक-अदद नौकरी की तैयारी में सालों लगे रहते हैं। इस बेतहाशा बढ़ती महंगाई के दौर में कोचिंग की फीस और रहने का खर्च जुटाने में ही हम और हमारा परिवार अपने साधनों व इच्छाओं की तिलांजलि देता जाता है और कर्ज में धंसता चला जाता है, सिर्फ इसीलिए कि हमारा भविष्य सुरक्षित हो पाए। लेकिन रोजगार के अभाव में ज्यादातर के लिए ये ‘सुरक्षित भविष्य’ सपना ही रह जाता है। हमारे हिस्से में आती है कोई छोटी-मोटी नौकरी, समाज की दुत्कार और अवसाद व अभाव से भरा जीवन। इससे जो लड़ना चुनते हैं उन्हें सड़कों पर पुलिस की लाठियां मिलती हैं, और कई तो आत्महत्या तक के लिए मजबूर हो जाते हैं।

साथियों, बेरोजगारी मुनाफे पर आधारित इस पूंजीवादी व्यवस्था की ही देन है। अम्बानी अदानी जैसे पूंजीपतियों के लिए सस्ते श्रम की सप्लाई होती रहे इसके लिए बेरोजगारों की एक फौज जरूरी है, जिसकी मजबूरी का फायदा उठा कर लद्दू जानवरों की तरह उन्हें कम से कम वेतन पर अधिक से अधिक काम कराया जा सके। ऐसे में जब आज विश्वपूंजीवादी अर्थव्यवस्था अपने सबसे गहरे और स्थायी आर्थिक संकट से गुजर रही है तो उसकी प्रबंधक कमिटियां, यानी ये सरकारें, पूंजीपतियों के मुनाफे को बरकरार रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाये हुए हैं। सरकारी संस्थाओं को बेच कर स्थायी नौकरियां सीधे-सीधे खत्म की जा रही हैं और उनकी जगह पर तुच्छ वेतन वाली अस्थायी नौकरियां लायी जा रही हैं। सरकार नौकरियां 2-3% मात्र बच गई हैं, उसमें भी लाखों पद खाली पड़े हैं क्योंकि सरकारों को हमें वेतन देने के बजाए बड़े पूंजीपतियों की तिजोरियां भरनी है। आज 94% नौकरियां इनफॉर्मल क्षेत्र में हैं जहां कोई श्रम कानून, सुरक्षा या जॉब की गारंटी लागू नहीं होती। क्या हमने ऐसी ही नौकरियों का सपना देखा था? क्या इसी के लिए हमनें अपने जीवन के अनमोल वर्ष घर परिवार से दूर, दोस्ती-यारी छोड़ कर, अपने सपने कुचल कर कोचिंग-क्लासरूमों के चक्कर काटने में बिता दिए? आज ठहर कर यह सोचने का समय है साथियों।

जो नौकरी में हैं भी उनके भी वेतन, ओवरटाइम, पीएफ जैसे सारे श्रम अधिकारों को ध्वस्त करने के लिए सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को खत्म करते हुए चार लेबर कोड व अन्य कानून धड़ल्ले से लाये जा रहे हैं। वहीं हमारा ध्यान भटकाने और बांटने के लिए हमें धर्म व जातीय नफरत और अंधराष्ट्रवाद की आग में झोंका जा रहा है। ये फासिस्ट सरकार तो नौकरी देने के बजाए अपने नफरती एजेंडे के लिए हमें अपना पैदल सिपाही बनाने को आमादा है ताकि जनविरोधी नीतियों और सत्ता के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को, यानी हमारे ही हक में उठने वाली आवाजों को, हम खुद देशद्रोही और आतंकवादी बता कर कुचलने निकल पड़ें! युवा, जो स्वभाव से प्रगतिशील व क्रांतिकारी मिजाज का होता है, को आज एक अंधी भीड़ में तब्दील किया जा रहा है।

साथियों, एक खुशहाल जीवन हर मनुष्य का सपना होता है। इसी सपने की पूर्ति के लिए विश्व में कई जन-क्रांतियां हुई और उनसे गुजरते हुए आज मानव समाज इस जगह पहुंचा है जहां उत्पादन साधनों के आपार विकास के कारण सबों के लिए रोजगार के साथ रोटी, घर, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत जरूरतें आसानी से पूरी की जा सकती हैं। अक्सर कहा जाता है – “जनसंख्या अधिक है तो बेरोजगारी रहेगी ही” – लेकिन यह भी सही नहीं है। अगर उत्पादन जनता की जरूरतों को पूरा करने और उनका जीवनस्तर बढ़ाने के लिए होता तो रोजगार के पर्याप्त अवसर निकलते, लेकिन आज पूंजीपतियों के कब्जे में उत्पादन केवल उनके मुनाफे को बढ़ाने के लिए होता है इसलिए एक तरफ गरीबी गैर-बराबरी कायम रहती है तो दूसरी तरफ बेरोजगारी भी बढ़ती जाती है। तभी तो जो पद पहले से खाली पड़े हैं वो तक नहीं भरे जाते!

आखिर हमारे मेहनत की लूट और गैरबराबरी पर टिकी ऐसी व्यवस्था क्या हमें कभी गरिमामय जीवन दे सकती है? कभी नहीं। बेरोजगारी का कारण जनसंख्या नहीं पूंजीवाद है! इसलिए युवाओं और पूरी मेहनतकश आबादी को एकजुटता बना कर समस्या की जड़ (पूंजीवाद) पर संगठित वार करना होगा। अपनी तात्कालिक मांग पर जुझारू संघर्ष तो चलाने ही होंगे, लेकिन उन्हें ऐसी व्यवस्था बनाने की लड़ाई से जोड़ना होगा जहां उत्पादन साधनों पर पूंजीपतियों का नहीं मेहनतकश वर्ग का मालिकाना हो। तभी 100% रोजगार की गारंटी होगी और सम्मानजनक खुशहाल जीवन की भी। बल्कि बिना आरपार के संघर्ष की तैयारी के इस व्यवस्था में हमारे लिए कोई भी अधिकार या कानून केवल एक फॉर्मेलिटी साबित होंगे, और वो भी टेम्पोररी। साथियों, आइये अपने भविष्य की खातिर ऐसे समाज के निर्माण के लिए आरपार के संघर्ष की तैयारी में आज से ही जुटें!

प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन (PDYF)

(पीडीवाईएफ द्वारा दिल्ली में 15 जुलाई 2023 को संयुक्त युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अधिवेशन में हस्तक्षेप हेतु जारी पर्चा)