‘उम्मीद’
August 17, 2023नाजिम हिकमत
क्रांतिकारी कवि की 60वीं मृत्य वार्षिकी पर उनकी कविता
मैं कविताएं लिखता हूं
पर उनको कोई नहीं छापता
एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब छपेंगी मेरी कविताएं।
मुझे इन्तजार है एक चिट्ठी का
जिसमें आएगी कोई अच्छी खबर
हो सकता है उसके आने का दिन वही हो
जिस दिन मैं लेने लगूं आखिरी सांसें…
पर ये हो नहीं सकता
कि न आए वो चिट्ठी।
दुनिया सरकारें या दौलत नहीं चलाती
दुनिया को चलाने वाली है अवाम
हो सकता है मेरा कहा सच होने में लग जाएं
सैकड़ों साल
पर ऐसा होना है जरूर।