अमरीकी ऑटो श्रमिकों की हड़ताल 

October 5, 2023 0 By Yatharth

सुधारवादी नेतृत्व के बावजूद श्रमिक आंदोलन का बढ़ता जुझारू रुख

एम असीम

15 सितंबर 2023 की मध्यरात्रि में अमरीकी ऑटोमोबाइल कंपनियों के श्रमिकों की ट्रेड यूनियन यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स यूनियन (यूएडब्ल्यू) ने पहले से चुने गए तीन कारखानों में तुरंत प्रभावी हड़ताल शुरू कर दी। यूएडब्ल्यू का यह हड़ताल कार्यक्रम “बिग थ्री” वाहन निर्माता कंपनियों – फोर्ड, जनरल मोटर्स (जीएम), और स्टेलेंटिस – के खिलाफ है, और तीनों कंपनियों में एक साथ हड़ताल पहली बार हो रही है। हड़ताल शुरू करने वाले तीन कारखाने हैं: मिसूरी में वेन्ट्जविले का जीएम, टोलेडो (ओहियो) में स्टेलेंटिस, और वेन (मिशिगन) में फोर्ड कारखाना। (बाद में हडताल में विस्तार कर लगभग 6,500 और मजदूरों को शामिल किया गया है।)

मात्र 3 कारखानों में शुरू यह हड़ताल अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव के दोनों संभावित उम्मीदवारों बाइडेन व ट्रंप तक के बीच एक मुद्दा बन गई है। वजह है कि इस हड़ताल ने सिर्फ मजदूर वर्ग ही नहीं, आम अमरीकी जनता की भी हमदर्दी हासिल कर ली है क्योंकि अधिकांश जनता गहराते पूंजीवादी आर्थिक संकट से बढ़ती बेरोजगारी, घटती प्रभावी आय एवं जीवन के बढ़ते खर्च से तबाह हो रही है और कथित पूंजीवादी जन्नत की हकीकत उसके सामने तेजी से साफ हो रही है। कॉर्पोरेट पूंजी नियंत्रित मीडिया व सभी वैचारिक प्रचार मध्यम बताते हैं कि अमरीका आदि विकसित पूंजीवादी देशों की जनता मजदूर यूनियनों व हड़तालों को पसंद नहीं करती। लेकिन प्रमुख सर्वेक्षण संस्था गैलप ने 1 अगस्त से 23 अगस्त तक जो पोल कराया उसमें 75% अमरीकी जनता ने ऑटो वर्कर्स का समर्थन किया। मात्र 19% ने ही ऑटो कंपनियों के पक्ष में राय दी। सीएनएन व सीएनबीसी जैसे कॉर्पोरेट मीडिया चैनल भी हड़ताल को मिल रहे इस समर्थन से हतप्रभ हो इसे छिपा नहीं पा रहे हैं। 

सिर्फ 3 संयंत्रों में हड़ताल का कारण यूनियन द्वारा एक नई ‘गुरिल्ला’ रणनीति बताया जा रहा है जिसे “स्टैंड अप स्ट्राइक” कहा जा रहा है। यूनियन ने आम हड़ताल के बजाय कुछ स्थानों पर चुनिंदा श्रमिकों को हड़ताल के लिए आह्वान किया है। कंपनियों द्वारा हड़ताल को दबाने के उद्देश्य से प्रतिशोध की रणनीति बनाने से रोकने हेतु चुने कारखानों की घोषणा होने तक इस बात को गुप्त रखा गया कि ठीक किस जगह हड़ताल होगी। कारोबारी चैनल सीएनबीसी ने रिपोर्ट भी किया है कि हड़ताल को नाकाम करने के लिए ऑटो कंपनियों ने हड़ताल कहां शुरू होगी की गुप्त सूचनाओं के आधार पर एक रणनीति बनाई थी। इसके अंतर्गत कुछ कारखाने बंद किए गए और इंजन, आदि कल पुर्जे तथा गैर यूनियन मजदूर कुछ कारखानों में भेजे गए थे। मगर हड़ताल दूसरी जगह हुई और कंपनियों की रणनीति धरी रह गई। 

यूएडब्ल्यू नवउदारवादी दौर से पहले जैसी मजबूत यूनियन नहीं रह गई। कुल श्रमिकों की संख्या कम हुई है और यूनियन की सदस्यता भी। नए बिजली वाहन कारखानों में यूनियन है ही नहीं। फिर भी पिछले साल यूएडब्ल्यू ने यूनियन में सीधे चुनाव की जो नई जनवादी प्रणाली अपनाई उसने मूलतः सुधारवादी कार्यक्रम व नेतृत्व के बावजूद आम मजदूरों में नई जान फूंकी है। यह हड़ताल इस तथ्य के लिए विशेष रूप से ऐतिहासिक है कि हड़ताली श्रमिकों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए यूएडब्ल्यू यूनियन के बाकी लगभग 150,000 श्रमिक हड़ताल व धरना देने (पिकेट्स) के लिए तैयार हैं, हालांकि आरंभ में 13,000 से कम श्रमिकों ने ही हड़ताल की अगुआई की है।

यूएडब्ल्यू के अनुसार, हड़ताल की यह रणनीति हड़ताली श्रमिकों को थकाने व वित्तीय रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए वार्ता को यथासंभव टालने की कॉर्पोरेट रणनीति की प्रत्याशा में बनाई गई है। इससे ऑटो कंपनियां एक साथ सभी श्रमिकों को मजदूरी से वंचित करने की स्थिति में नहीं पहुंचा सकेंगी और मजदूरी से वंचित होने वालों की मदद के लिए बना हड़ताल फंड अधिक दिन चल पाएगा। जिन मजदूरों ने पूरी तरह हड़ताल की है उनकी मदद के लिए जो मजदूर अभी हड़ताल पर नहीं हैं वे भी धरना, जुलूस, आदि विरोध के साथ-साथ ओवर टाइम करने से इनकार कर उत्पादन कार्य में अधिकाधिक बाधा डाल रहे हैं। 

किंतु इस रणनीति का कमजोर पक्ष है कि कंपनियों पर तत्काल आर्थिक प्रभाव कम हो गया है और हड़ताल करने वाले अलग-थलग पड़ सकते हैं। कुछ सबसे शक्तिशाली कंपनियों के खिलाफ हड़ताल के लिए जरूरी एकजुटता इससे कमी हो सकती है। यह एकता न केवल यूएडब्ल्यू सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यापक अमरीकी श्रमिक वर्ग के लिए भी अहम है, जो एक बड़ी हड़ताल की ओर आशा व आकांक्षा से देख रहा है, क्योंकि यह एक बड़े श्रमिक आंदोलन के उभार में प्रेरणास्रोत का काम कर सकता है। यह श्रमिक आंदोलन पहले ही तेज और आक्रामक हो रहा है। दशकों तक सुधारवादी यूनियनों द्वारा मालिकों की दी गई रियायतों को पीछे छोड़ बढ़ते हुए असंतोष के साथ इतने सारे श्रमिकों, विशेष रूप से युवा श्रमिकों, ने पिछले कुछ सालों में आंदोलन का बड़ा अनुभव जुटाया है।

यूएडब्ल्यू की मांगों में 40% की कुल वेतनवृद्धि की मांग है। इसके अंतर्गत तत्काल 20% वेतन वृद्धि और उसके बाद 4 वर्षों में 5% की चार अतिरिक्त वृद्धि शामिल हैं। यूएडब्ल्यू की एक उल्लेखनीय मांग ‘टियर’ व्यवस्था से श्रमिकों में किए गए “स्तरीकरण” को समाप्त करना है। ये ‘टियर’ वेतन के वे ब्रैकेट हैं जिनमें श्रमिकों को कंपनियों द्वारा विभिन्न आधार पर डाला जाता है। ‘समान काम के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत का उल्लंघन करता यह स्तरीकरण श्रमिकों को विभाजित करता है जिससे पूंजीपतियों द्वारा उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। यूएडब्ल्यू की अन्य मांगें मुद्रास्फीति के अनुरूप सेवानिवृत्ति लाभ, छंटनी से सुरक्षा और वेतन वृद्धि हैं। अस्थायी श्रमिकों को पूरी तरह समाप्त कर उन्हें पूर्णकालिक रोजगार में तत्काल परिवर्तित करने की मांग भी रखी गई है।

कंपनियों और यूनियन के बीच असहमति के अन्य केंद्रीय बिंदु हैं: मंदी के मद्देनजर काटे गए जीवन-यापन भत्ते को बहाल करना; अस्थायी श्रमिकों के लिए पूर्ण लाभ प्राप्त करने की अवधि को छोटा कर उन्हें 90 दिनों के बाद पूर्ण लाभ वाले नियमित कर्मी में परिवर्तित करना, जबकि बिग थ्री ने इसे 8 साल से घटा 4 साल करने का प्रस्ताव दिया है; कामकाजी परिवार सुरक्षा योजना के साथ नौकरी की सुरक्षा, जिसमें संयंत्र बंद करने पर हड़ताल करने का अधिकार शामिल होगा; अधिक संख्या में पेड छुट्टियों के माध्यम से बेहतर कार्य-जीवन संतुलन; और यह सुनिश्चित करना कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) संयंत्रों में नौकरियां सुरक्षित हों।

पिछले दशक में इन कंपनियों ने लगभग एक चौथाई ट्रिलियन डॉलर का मुनाफ़ा कमाया है। पिछले चार वर्षों में ही उनका मुनाफ़ा 65% बढ़ गया है। उनके सीईओ को इस तरह की सफलता के लिए शानदार ढंग से पुरस्कृत किया गया है। लेकिन मजदूर यूनियनों के साथ वेतन वृद्धि की वार्ता में 4 बिग थ्री ने मांग से बहुत कम प्रस्ताव दिया है – फोर्ड की पेशकश 20% की है, जीएम ने 18% और स्टेलेंटिस ने 17.5% की पेशकश की है, जबकि पिछले सालों में श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी में 30% की गिरावट आई है।

पिछले 50 वर्षों में फोर्ड, जनरल मोटर्स और स्टेलेंटिस में श्रमिकों के वेतन में भारी गिरावट आई है। 1973 में औसत वेतन 5.54 डॉलर प्रति घंटा था – जो आज के डॉलर में 38 डॉलर प्रति घंटे से अधिक है। यदि वह वेतन महज मुद्रास्फीति के अनुरूप रहता तो ऑटोवर्कर आज लगभग 40 डॉलर प्रति घंटा कमा रहे होते। लेकिन आज जीएम में अस्थायी कर्मचारी 16.67 डॉलर से अधिकतम 20 डॉलर पर शुरू होते हैं जो प्रभावी रूप से पांच दशक पहले की तुलना में आधा है। यदि कामगार को पूर्णकालिक दर्जा मिल सके तो उनका शीर्ष वेतन केवल $32 प्रति घंटे होता है, जिस तक पहुंचने में उन्हें आठ साल लग जाते हैं। उधर जीएम की सीईओ मैरी बर्रा को 2022 में $2.89 करोड़ का पैकेज मिला। उसने लगभग $13,800 “प्रति घंटा” की दर से कमाई की। एक अस्थायी कर्मचारी को प्रति घंटे अधिकतम 20 डॉलर से उतना कमाने में लगभग तीन साल लगेंगे, जितना बर्रा एक दिन में कमाती है।

दोनों के बीच अंतर यह है कि बर्रा के वेतन का प्रत्येक पैसा श्रमिक वर्ग के श्रम द्वारा उत्पादित अधिशेष मूल्य से प्राप्त होता है। “मुक्त बाजार” प्रणाली के चैंपियनों द्वारा तर्क दिया जाता है कि अधिकारियों को उनके “प्रदर्शन” के लिए भुगतान किया जाता है, जिसका अर्थ वॉल स्ट्रीट के वित्तीय पूंजीपतियों के लिए काम करने की उनकी क्षमता से है। वे लाखों कमाते हैं क्योंकि शेयरधारकों को अरबों मिलते हैं। और कंपनियों ने कितना मुनाफा कमाया है? 2022 में, जीएम, फोर्ड और स्टेलेंटिस ने संयुक्त रूप से $77 बिलियन का सकल लाभ कमाया। यदि उस $77 बिलियन को अमेरिका के सभी 150,000 बिग थ्री ऑटोवर्कर्स के बीच वितरित किया जाता है, तो प्रत्येक कर्मचारी को लगभग $513,333 का बोनस प्राप्त होगा।

पूंजीपति वर्ग भी पहले ही अपना जवाबी हमला शुरू कर चुका है। ऑटो कंपनियां गैर-यूनियन कर्मियों से हड़ताली संयंत्रों में काम कराने की आकस्मिक योजनाएँ तैयार कर रही हैं। बैंक ऑफ अमेरिका के एक विश्लेषक ने बिग थ्री को हड़तालों की स्थिति में परिचालन बंद कर कामगारों को नौकरी से निकालने की सलाह दी है। उधर कॉर्पोरेट मीडिया उपभोक्ताओं को मजदूरों के खिलाफ भड़काने के लिए कारों के महंगा होने का दुष्प्रचार कर रहा है। लेकिन ऑटो उत्पादन एक पूंजी-गहन उद्यम है। श्रम लागत इसमें एक छोटा सा हिस्सा है। पिछले चार वर्षों में कार की औसत कीमतें 34% बढ़ी हैं, लेकिन प्रति वाहन श्रम लागत केवल 4 से 5% ही बढ़ी है। दूसरे शब्दों में, बढ़ती कीमतों के लिए श्रमिक नहीं, कंपनी ही जिम्मेदार है।

अस्थायी श्रमिकों की प्रथा लंबे समय से अमरीका में गोदाम और विनिर्माण श्रमिकों के लिए एक अभिशाप रही है। जिन कंपनियों को कठिन, अक्सर खतरनाक श्रम की आवश्यकता होती है, वे अस्थायी एजेंसियों के माध्यम से मजदूरों को काम पर रखती हैं। ये एजेंसियां केवल घंटे के हिसाब से श्रमिकों को काम पर रखती हैं। कामगारों को श्रम कानूनों के अंतर्गत किसी भी लाभ का भुगतान करने से बचने और अस्थायी कर्मचारी के स्वास्थ्य के लिए किसी भी जिम्मेदारी से बचने के लिए ही एक अस्थायी एजेंसी के माध्यम से प्रॉक्सी द्वारा काम पर रखा जाता है। कंपनियों के लिए सस्ता होने के साथ-साथ यह नियमित श्रमिकों के लिए खतरा है क्योंकि कंपनियां जितना संभव हो सके उच्च वेतन वाले कामगारों को अस्थायी कामगारों से बदलना चाहेंगी। यह अच्छा है कि यूएडब्ल्यू ने पूंजीपति वर्ग की इस घृणित प्रथा के खिलाफ कदम उठाया है।

नेतृत्व के सुधारवादी रवैये के बावजूद यूएडब्ल्यू की यह हड़ताल एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है, जब पूंजीपति वर्ग द्वारा सर्वहारा वर्ग को लंबे समय तक सफलतापूर्वक अधीन करने के बाद, श्रमिकों के बीच असंतोष चरम पर पहुंच गया है। यह असंतोष ही पूंजीपति वर्ग के लिए संभावित रूप से भारी नुकसान वाली हड़ताल में परिणत हुआ है। यह हड़ताल सिर्फ ऑटोकर्मियों को मिलने वाली रियायतों के लिए ही अहम नहीं है। यह हड़ताल सर्वहारा संगठन व एकजुटता की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करने के लिए भी महत्वपूर्ण बन गई है।

यद्यपि वर्तमान यूएडब्ल्यू हड़ताल श्रमिक वर्ग द्वारा और उनके हितों के लिए बनाए गए बेहतर समाज की दिशा में एक सकारात्मक मील का पत्थर है, लेकिन इससे ही यह काम पूरा नहीं होने वाला है। अमेरिका के श्रमिकों को इससे सीखना होगा कि उनकी संख्या में ताकत है और परजीवी पूंजीपति उस दिन के रास्ते में मुख्य बाधा के रूप में खड़ा है जब श्रमिक मिलकर जो उत्पादन करते हैं वे मिलकर ही सामूहिक रूप से उसका उपभोग भी प्राप्त कर पाएंगे।

अमरीकी मेहनतकशों व अवाम से मिले समर्थन की वजह से बाइडेन व ट्रंप दोनों मजदूरों के प्रति समर्थन का दिखावा कर रहे हैं। ट्रंप की योजना मजदूरों को संबोधित करने की है। मगर खबर है कि वह बिना यूनियन वाले ड्रेक प्लांट में जा रहा है और कंपनी मालिक भी उसका स्वागत करेंगे। ट्रंप पूंजीपति मालिकों के बजाय मजदूरों की समस्या मेक्सिको से एशिया तक के मजदूरों को ही बता श्रमिकों की एकता तोड़ उन्हें फासीवादी मुहिम में जुटाना चाहता है।

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी 25 सितंबर को हडताली मजदूरों को समर्थन देने के उनके धरने (पिकेट) पर हाजिरी लगाई है। 15 सितंबर को ही उसने व्हाइट हाउस में हड़ताल के बारे में बात की, और कार निगमों व यूनियन से “जीत-जीत” (दोनों पक्षों के लिए लाभकारी) समझौते पर पहुंचने का आह्वान किया। बाइडेन ने कहा, “मेरे विचार से, रिकॉर्ड लाभ को उन श्रमिकों के साथ उचित रूप से साझा नहीं किया गया है।” “श्रमिक उन लाभों का उचित हिस्सा पाने के हकदार हैं जो उन्होंने एक उद्यम के निर्माण में मदद की।” बाइडेन की ये टिप्पणियां अमरीका में धन के वितरण के बारे में बुनियादी सच्चाई को स्वीकार करने की मजबूरी दिखाती हैं। पर मुद्दा इससे कहीं बड़ा है। बाइडेन का “उचित हिस्सा” 13,894 डॉलर प्रति घंटा कमाने वाले कॉर्पोरेट कार्यकारी और 20 डॉलर प्रति घंटा कमाने वाले अस्थायी कर्मचारी के बीच कैसे वितरित किया जा सकता है?

बाइडेन का दावा है कि श्रमिकों और कॉर्पोरेट मालिकों के लिए “जीत-जीत” अनुबंध पर पहुंचा जा सकता है। लेकिन अनुभवी पूंजीवादी राजनीतिज्ञ बाइडेन जानते हैं कि यह असंभव है। राष्ट्रपति जिस चीज को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं वह यह है कि श्रमिकों और कॉर्पोरेट कुलीनतंत्र के बीच बुनियादी तौर पर असंगत व विरोधी वर्ग हित हैं। ऐसे तंत्र में कोई “उचित हिस्सा” मुमकिन नहीं है जिसमें वित्तीय पूंजी निवेशकों को अरबों मिलते हैं, अधिकारियों को लाखों मिलते हैं, और श्रमिकों को मिलती हैं बस चंद पाई। असल में लंबे समय से छुपी और ढकी हुई सामाजिक वास्तविकताओं से रूबरू होने का दिन आ रहा है। श्रमिक उस बेहद शोषक समाज के बारे में तेजी से जागरूक हो रहे हैं जिसमें वे रहते हैं और इसे बुनियादी रूप से बदलने का रास्ता तलाश रहे हैं।

किंतु यह याद रखना चाहिए कि यूएडब्ल्यू जैसी सुधारवादी यूनियनों का नेतृत्व मजदूरों को शोषण मुक्ति के इस इंकलाबी राह से दिग्भ्रमित कर बाइडेन और बर्नी सैंडर्स जैसे पूंजीपति वर्ग के नेताओं के पीछे लगाए रखने के प्रयास में जुटा है। यूएडब्ल्यू के बाइबिल भक्त अध्यक्ष शॉन फेन ने “कॉर्पोरेट लालच” और “अरबपति वर्ग” की निंदा की है। किंतु खुद वे हड़तालों को रोकते हैं या सीमित करते हैं (जैसा कि वर्तमान में बिग थ्री में वॉकआउट को केवल तीन संयंत्रों तक सीमित कर किया गया है) और प्रबंधन की मांगों को लागू करते हैं, जैसे वे पिछले 45 वर्षों से एक के बाद एक मालिकों के लिए फायदे वाले अनुबंध लागू कर रहे हैं।

असल में बाइडेन, बर्नी, ट्रम्प और फेन सभी को डर है कि तेज होती शोषण की दर और निरंतर बढती असमानता दुनिया में अमरीका में श्रमिक वर्ग को पूंजीवाद विरोधी समाजवादी राजनीति की ओर ले जा रही है – अर्थात, श्रमिकों के स्वतंत्र वर्ग हितों पर आधारित राजनीति। कुछ महीने पहले दिसंबर में ही अमरीकी रेलवे श्रमिकों की हड़ताल के समय इन सब की श्रमिक विरोधी वर्ग एकता हमने देखी थी जब एक दिन में ही अमरीकी संसद के दोनों सदनों ने सबकी मिलीभगत से एक इमरजेंसी कानून पारित कर उस हड़ताल पर रोक लगाते हुए श्रमिकों को पूंजीपति मालिकों द्वारा दिए गए ऑफर को मानने के लिए मजबूर किया था। अगले दिन ही जो बाइडेन ने भी इस हडताल पाबंदी कानून पर दस्तखत कर दिए थे। यह तब जब अमरीका सभी को समान अधिकार व स्वतंत्रता वाला खुद को दुनिया का सबसे पुराना और सर्वोत्तम जनतंत्र होने का दावा करता है। पर हर ऐसे मौके पर पर्दा उठा कर बताया जाता है कि यह तथाकथित जनतंत्र मेहनतकशों पर पूंजीपति वर्ग की तानाशाही है।

रेलवे मजदूर हडताल तोडने वाले ऐसे राष्ट्रपति का यूएडब्ल्यू हडताल में स्वागत इस यूनियन के मौकापरस्त चरित्र को दिखाता है। साथ ही यह भी कि पूंजीवादी आर्थिक संकट से मजदूरों में इतना असंतोष है कि ऐसी यूनियन को भी हडताल करने के लिए बाध्य होना पडा है। किंतु अमरीकी मजदूर जब तक वर्ग सचेत हो इस मौकापरस्त नेतृत्व से मुक्त नहीं होंगे, उन्हें मामूली वेतन वृद्धि से अधिक कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

एक लगभग अंतहीन आर्थिक संकट के भंवर में फंसा पूंजीवाद आज श्रमिकों को दिखा रहा है कि वह वित्तीय पूंजी के मुनाफे की हवस पूरा करने के मकसद से उनकी बुनियादी जरूरतों के साथ युद्ध कर रहा है। विनाशकारी युद्ध और महामारी, घनघोर बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, घातक कामकाजी परिस्थितियां, जलवायु संकट और परमाणु विश्व युद्ध का खतरा दुनिया भर के श्रमिकों का सामना कर रहा है। अधिक से अधिक श्रमिक इस संपूर्ण व्यवस्था को उलटने और ऐसी प्रणाली लाने की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं जिसमें निजी लाभ नहीं बल्कि सामाजिक आवश्यकता यह निर्धारित करेगी कि समाज के संसाधनों को कैसे व्यवस्थित किया जाए।