अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि –

December 18, 2023 0 By Yatharth

प्रचार या हकीकत?

एक प्रचार चल रहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विकास ने बहुत मजबूत गति पकड़ ली है। 2023 की तीसरी तिमाही में अमेरिकी वास्तविक जीडीपी का नवीनतम अनुमान, जो वार्षिक (annualised) आधार पर 5.2% आंका गया है, हाल ही में जारी किया गया है जिसने बुर्जुआ अर्थशास्त्रियों, विशेष रूप से गोल्डमैन सैक्स से जुड़े अर्थशास्त्रियों के बीच काफी आशा और उत्साह पैदा कर दिया है।

यह वास्तव में एक प्रभावशाली आंकड़ा है। लेकिन यह अभी भी 2021 की चौथी तिमाही के आंकड़े से छोटा आंकड़ा है जिसके बाद यह प्रचार उठा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2020 की महामारी से उत्पन्न मंदी से बहुत तेजी से उबर रही है।

बहुत सारे डेटा स्रोतों को खुदाई करने, उन्हें खंगालने और उन पर शोध करने के बाद माक्सर्वादी अर्थशास्त्री माइकल रॉबर्ट लिखते हैं कि यह ”गोल्डीलॉक्स और लास्ट माइल” वाली स्थिति है। ”गोल्डीलॉक्स” स्थिति तब आती है, एम. रॉबर्ट्स लिखते हैं, जब कोई अर्थव्यवस्था न तो बहुत ‘गर्म’ होती है और न ही बहुत ‘ठंडी’ होती है, और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद न तो उच्च मुद्रास्फीति और न ही उत्पादन में संकुचन मौजूद हो। उदाहरण के लिए, अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों, जैसे कि यूक्रेन-रूस युद्ध और इज़राइल-गाजा संघर्ष जिसमें अमेरिका ने ईरान, सीरिया, रूस और चीन और पूरे अरब दुनिया के साथ अपने को बुरी तरह से उलझा रखा है, के बावजूद अगर अमेरिकी अर्थव्यवस्था न तो अत्यधिक गर्म है और न ही अत्यधिक ठंडा, तो हम इसे ”गौल्डीलॉक्स” की स्थिति मान सकते हैं। इस तरह की स्थिति में, बेरोजगारी दर भी बहुत अधिक नहीं होती है।

सवाल है, क्या इस प्रकार के प्रचार के लिए सच में कोई वास्तविक आधार है जो बताता हो कि अर्थव्यवस्था में विकास को लेकर साल भर फैली निराशा और हताशा का अंत (death of pessimism) हो गया है? माइकल रॉबर्ट्स और उनके जैसे कई अन्य अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस तरह के प्रचार के लिए कोई वास्तविक आधार नहीं है। माइकल रॉबर्ट्स का तो यहां तक कहना है कि ”गोल्डीलॉक्स” की यह स्थिति और कुछ नहीं बल्कि मंदी आने से पहले की स्थिति ( the last miles) को प्रदर्शित करती है। इस तरह के नतीजे पर पहुंचने से पहले उन्होंने जाहिर है काफी रिसर्च किया है। आइए देखें कि वह ऐसे नतीजे पर क्यों और किस आधार पर पहुंचते हैं? साथ-साथ हम अपना मत भी प्रकट करते चलेंगे।

वार्षिक (annualised) बनाम वर्ष-दर-वर्ष (year-on-year) आधार आंकड़ा

सबसे पहले, वह जीडीपी के वार्षिक आंकड़े (figures based on annualised basis) की वैधता पर सवाल उठाते हैं। मेरी राय में, वे ऐसा सही ही करते हैं, क्योंकि यह किसी भी तिमाही में विकास की वास्तविक गति का सही प्रतिनिधित्व नहीं करता है। उदाहरण के लिए, वे लिखते हैं, यदि वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद का आंकड़ा 5.2% है, तो इसका मतलब है कि 2023 की तीसरी तिमाही के लिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पिछले वर्ष की तिमाही की तुलना में केवल 1.26% (5.2/4) है। यह और बात है कि हाल की तिमाहियों में विकास के रुझान की तुलना में 1.26% का यह आंकड़ा अभी भी एक प्रभावशाली आंकड़ा है।

माइकल रॉबर्ट्स का यह भी सुझाव है कि साल-दर-साल (वर्ष-दर-वर्ष) आधार आंकड़ा वास्तविक जीडीपी वृद्धि को मापने का एक बेहतर तरीका है, क्योंकि यह किसी एक तिमाही में प्राप्त जीडीपी आंकड़े की तुलना पिछले वर्ष की समान तिमाही में प्राप्त जीडीपी के आंकड़े से करता है। अमेरिका के अलावा अन्य सभी तथा अधिकांश देशों में अर्थव्यवस्था की विकास दर मापने के लिए इसी पद्धति का अधिक उपयोग किया जाता है। इस पद्धति का उपयोग करते हुए गणना करने पर 2023 की तीसरी तिमाही में अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद इसके पहले की अर्थात दूसरी तिमाही की वृद्धि दर (2.4%) की तुलना में वर्ष-दर-वर्ष के आधार पर 3.0% ही रह जाता है। यह सच है कि यह आंकड़ा भी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में एक प्रभावशाली सुधार का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि यह 2022 की पहली तिमाही के बाद से अब तक का सबसे मजबूत आंकड़ा है।

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के अन्य प्रभावशाली आंकड़े

महंगाई के मोर्चे पर भी आंकड़े ठीक-ठाक दिख रहे हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति, जो जून 2022 में सालाना 8.9% तक पहुंच गई थी, उसमें काफी कमी आई है, क्योंकि ‘हेडलाइन’ मुद्रास्फीति दर अक्टूबर 2023 में घटकर 3.2% सालाना रह गई है। इसी तरह, व्यक्तिगत उपभोग व्यय (Personal Consumption Expenditure) सूचकांक अक्टूबर 2023 में घटकर 3.0% पर आ गया है, जहां यह जून 2022 में 7.1% पर पहुंच गया था। इसके कारण वर्तमान प्रचार की तीव्रता यहां तक पहुंच गयी है कि अमेरिकी मुद्रास्फीति दर जल्द ही प्रति वर्ष 2% से नीचे आ सकती है जो अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा निर्धारित एक बड़ा आशावादी लक्ष्य है। हालांकि ‘मुख्य’ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक फिर भी उच्च बना हुआ है (6.6% के शिखर से गिरकर महज 4.4% पर आया है), इसलिये प्रचार जरूरत से ज्यादा आशावादी दिखता है। इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि खाद्य और ऊर्जा की कीमतों को छोड़कर अन्य कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं हुई है। इससे यह संभावना पैदा होती है कि मुद्रास्फीति 2% तक नहीं गिरने वाली है।

बेरोजगारी के मोर्चे पर देखें, तो आधिकारिक (बेरोजगारी) दर गिरकर 3.4% हो गई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह भी एक प्रभावशाली आंकड़ा है। यह 2019 के अंत के आंकड़े से भी नीचे है जब महामारी फैलने की शुरूआत हुई थी। लेकिन यह भी सच है कि बेरोजगारी दर अप्रैल 2023 से थोड़ा-थोड़ा करके ऊपर उठती जा रही है जो भविष्य के लिए एक खराब संकेत है। यह भविष्य में बेरोजगारी दर के गिरने या इसी बिंदु पर बने रहने के बजाय ऊपर की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।

उपरोक्त के अलावा, औसत प्रति घंटा वेतन आय भी बढ़ रही है। इसकी वृद्धि की दर आज मुद्रास्फीति की तुलना में तेज़ है। इसका मतलब है कि कामगारों की वास्तविक आय में सुधार हो रहा है या हुआ है।

हम पाते हैं कि ऊपर जिन आकड़ों की चर्चा की गई है उसके लिहाज से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विकास की तेज गति का प्रचार स्वाभाविक और वास्तविक लगता है। इसीलिए बुर्जुआ अर्थशास्त्रियों के लिए यह सचमुच जश्न मनाने का अवसर है! इस वर्ष की शुरुआत में उत्पादन में गिरावट के बारे में जो निराशा का माहौल था वह आशावाद में बदल गया प्रतीत होता है क्योंकि इन्हें उम्मीद है कि 2024 में और उसके बाद भी मंदी के आसार ना के बराबर हैं।

आइए, इस पर गौर फरमाएं कि ऐसे आशावाद के अग्रदूत क्या कहते हैं। खासकर गोल्डमैन सैक्स की अतिशयोक्तिपूर्ण बातों को जरूर सुनना चाहिए जिन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बारे में अपनी नवीनतम रिपोर्ट में खुले तौर पर इन शब्दों में आशावाद व्यक्त किया है –

“वैश्विक अर्थव्यवस्था ने 2023 में हमारी आशावादी उम्मीदों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि एक साल पहले की आम सहमति के पूर्वानुमानों को मात देने की राह पर है” और “हमें केवल सीमित मंदी का जोखिम ही दिख रहा है”।

स्वाभाविक रूप से, वे इस बात का जश्न मना रहे हैं कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की नीति ने सकारात्मक रूप से काम किया है, यानी उत्पादन में गिरावट और बेरोजगारी में वृद्धि पैदा किये बिना ही मुद्रास्फीति में कमी लाने में सफलता पाई है। गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट इसे “निर्णायक नरम लैंडिंग” के रूप में वर्णित करती है। 2024 के लिए इसका अनुमान है कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि 2% के आसपास या उससे ऊपर रहेगी या रह सकती है।

सिक्के का दूसरा पहलू

कम से कम शब्दों में कहना हो तो यही कहा जा सकता है कि सिक्के का दूसरा पहलू उतना चमकीला नहीं है जितना कि ये आंकड़े हैं। अन्य तरह के आंकड़ों की खुदाई से यह सच्चाई प्रकट होती है कि अमेरिकी व्यवस्था पहले से कहीं अधिक जंग खाई हुई दिखती है। उदाहरण के लिए, प्रभावशाली जीडीपी आंकड़ों की तुलना में जीडीआई (सकल घरेलू आय) के आंकड़े बहुत खराब हैं, जबकि अर्थशास्त्री यह मानते हैं कि व्यापक आर्थिक लेखांकन में ये दोनों के परिणाम समान या लगभग समान आने चाहिए।

जीडीपी और जीडीआई में क्या अंतर है? जबकि जीडीपी किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य (यानी कुल उत्पादन के मूल्य) को मापता है, वहीं जीडीआई अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में प्राप्त कुल आय को मापता है, जिसमें मजदूरी, कॉर्पोरेट लाभ और उस उत्पादन से कर प्राप्तियां शामिल हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यदि लेखांकन (accounting) को ध्यान में रखा जाए तो इन दोनों उपायों के परिणामों का योग एक समान होना चाहिए। लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति यह है कि वर्तमान में जीडीपी और जीडीआई विकास दर एक-दूसरे से बहुत अधिक भिन्न हैं। दोनों के बीच अच्छा-खासा अंतर है। इतना बड़ा विचलन 2007 में देखा गया था, यानी की 2008-09 की महान मंदी शुरू होने से ठीक पहले के वर्ष में (माइकल रॉबर्ट्स)।

आइए, देखें कि अंतर कितना ज्यादा है। वार्षिक आधार पर (on annualised basis) इस वर्ष की तीसरी तिमाही में अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5.2% है, लेकिन उसी वार्षिक (annualised) आधार पर GDI वृद्धि केवल 1.5% है। यह एक बहुत बड़ा अंतर जो उल्लेखनीय है। हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि साल-दर-साल (year-on-year) जीडीपी वृद्धि का आंकड़ा, जो भले ही धीमी गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था को बताता है, सकारात्मक है जिसका बुर्जुआ अर्थशास्त्र की भाषा यह अर्थ है कि मंदी फिलहाल इन्तेजार नहीं कर रही है, लेकिन जीडीआई के साल-दर-साल (year-on-year basis) आकड़ें लगातार दो तिमाहियों से गिर रहे हैं जिसका मतलब है कि मंदी कहीं आसपास ही है।

तो यह सिक्के का दूसरा पहलू है जिसके बारे में हम आगे और विस्तार से लिखेंगे

हमारे सामने फिलहाल बड़ा सवाल यह विचलन नहीं, बल्कि यह है कि ऐसा क्यों हो रहा है और कौन सा माप अधिक सटीक है? यूएस बीईए के आधिकारिक सांख्यिकीविद्, हम यहां माइकल रॉबर्ट्स को उद्धृत कर रहे हैं, कहते हैं कि ”कॉर्पोरेट मुनाफा, मालिकों की आय (लघु व्यवसाय और स्व-रोजगार आय), और पूंजीगत व्यय जीडीपी/जीडीआई के घटक हैं जिनमें संशोधन की संभावना सबसे अधिक है।”  इसका मतलब क्या है?  इसका मतलब यह है कि हालांकि यह सच है कि वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन बढ़ा है लेकिन बढ़ा हुआ उत्पादन बढ़ी हुई आय में तब्दील नहीं हुआ है (माइकल रोबर्ट्स), जो दरअसल (पूंजीवादी) अतिउत्पादन की समस्या की बढ़ती तीव्रता को ही दर्शा रहा है। यह बिना बिके मालों और भरे हुए इनवेंटरी की समस्या को सामने ला रहा है। माइकल रॉबर्ट कहते हैं कि मजबूत दिख रहा सकल घरेलू उत्पाद का आंकड़ा आंशिक रूप से अनबिके माल की सूची या स्टॉक में उस वृद्धि के कारण है जिससे कोई राजस्व नहीं मिल रहा है।

यह उल्लेखनीय है कि ”निजी इन्वेंट्रीज निवेश ने तीसरी तिमाही के जीडीपी में 1.3 प्रतिशत अंक का योगदान दिया है।” इसलिये यदि जीडीपी आंकड़ा में से इन्वेंट्री में वृद्धि के योगदान को घटा दिया जाये तो यह प्रभावशाली दिखने वाले जीडीपी को मंदी दर्शाने वाली जीडीआई माप के करीब या बराबर ले आता है। इसके अलावा, वास्तविक बिक्री में वृद्धि (मुद्रास्फीति के बाद) को ध्यान में रखा जाये, तो इसी तीसरी तिमाही में बिक्री में वृद्धि लगभग 2% सालाना थी, जबकि सकल घरेलू उत्पाद में इसकी माप 3% सालाना से अधिक दिखाई गई है। इसके अलावा, वास्तविक अंतिम बिक्री अभी भी महामारी-पूर्व प्रवृत्ति वृद्धि से 7-8% नीचे है।  (माइकेल रोबर्ट्स)

यहां उपरोक्त चर्चा के आधार पर यह निष्कर्ष, जिसकी पुष्टि हम आगे और अधिक पुष्ट तथ्यों व तर्कों से करेंगे, निकाला जा सकता है कि अमेरिका की जीडीपी का प्रभावशाली आंकड़ा इन्वेंट्री में हुई वृद्धि के कारण है! इसका मतलब यह है कि जीडीपी का आंकड़ा वास्तव में प्रभावशाली है नहीं, बस दिखता है। दरअसल अन्य आंकड़े पतनशील पूंजीवाद के दौर के अंतर्गत अतिउत्पादन की लाइलाज हो चुकी बीमारी की ओर इशारा कर रहे हैं।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि माइकल रॉबर्ट्स अमेरिकी अर्थव्यवस्था में विकास को लेकर हो रहे प्रचार का ठोस तर्कों के आधार पर खंडन करते हैं। हालांकि इस बहस के अन्य पहलू भी हैं। और इसलिए अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि की बात प्रचार है या हकीकत, इसकी पड़ताल हम आगे भी जारी रखेंगे और अगले अंक में इस पर लंबी चर्चा करेंगे।