बुनियाद कुछ तो हो (फैज)
March 1, 2024कू-ए-सितम की ख़ामुशी आबाद कुछ तो हो
कुछ तो कहो सितम-कशे फ़रियाद कुछ तो हो
बेदाद-गर से शिकवा-ए-बेदाद कुछ तो हो
बोलो कि शोर-ए-हश्र की ईजाद कुछ तो हो
मरने चले तो सतवत-ए-क़ातिल का ख़ौफ़ क्या
इतना तो हो कि बाँधने पाए न दस्त ओ पा
मक़्तल में कुछ तो रंग जमे जश्न-ए-रक़्स का
रंगीं लहू से पंजा-ए-सय्याद कुछ तो हो
ख़ूँ पर गवाह दामन-ए-जल्लाद कुछ तो हो
जब ख़ूँ-बहा तलब करें बुनियाद कुछ तो हो
गर तन नहीं ज़बाँ सही आज़ाद कुछ तो हो
दुश्नाम नाला हाव-हू फ़रियाद कुछ तो हो
चीख़े है दर्द ऐ दिल-ए-बर्बाद कुछ तो हो
बोलो कि शोर-ए-हश्र की ईजाद कुछ तो हो
बोलो कि रोज़-ए-अदल की बुनियाद कुछ तो हो
फैज अहमद फैज
मांटगोमरी जेल, 13 अप्रैल 1955