‘जीने के बारे में’ (नाजिम हिकमत)

March 1, 2024 0 By Yatharth

जीना कोई हंसी-मजाक नहीं,

तुम्हें पूरी संजीदगी से जीना चाहिए

मसलन, किसी गिलहरी की तरह

मेरा मतलब जिंदगी से परे और उससे ऊपर

किसी भी चीज की तलाश किये बगैर।

मतलब जिना तुम्हारा मुकम्मल कारोबार होना चाहिए।

जीना कोई मजाक नहीं,

इसे पूरी संजीदगी से लेना चाहिए,

इतना और इस हद तक

कि मसलन, तुम्हारे हाथ बंधे हों पीठ के पीछे

पीठ सटी हो दीवार से,

या फिर किसी लेबोरेटरी के अंदर

सफ़ेद कोट और हिफाज़ती चश्मे में ही,

तुम मर सकते हो लोगों के लिए—

उन लोगों के लिए भी जिनसे कभी रूबरू नहीं हुए,

हालांकि तुम्हे पता है जिंदगी

सबसे असली, सबसे खूबसूरत शै है।

मतलब, तुम्हें जिंदगी को इतनी ही संजीदगी से लेना है

कि मिसाल के लिए, सत्तर की उम्र में भी

तुम रोपो जैतून के पेड़—

और वह भी महज अपने बच्चों की खातिर नहीं,

बल्कि इसलिए कि भले ही तुम डरते हो मौत से—

मगर यकीन नहीं करते उस पर,

क्योंकि जिन्दा रहना, मेरे ख्याल से, मौत से कहीं भारी है।

अंग्रेजी से अनुवाद : दिगंबर